नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी में पिछले कई दिनों से चले आ रहे झगड़े का कल चुनाव आयोग के आदेश से फैसला हो गया. साइकिल निशान और पार्टी पर अखिलेश की दावेदारी पक्की हो गई. इस पूरे झगड़े के दौरान एक नाम सबकी जुबां पर रहा वो नाम अखिलेश के 'अंकल' अमर सिंह का था. अखिलेश ने भरी सभा में सबके सामने अमर सिंह का नाम लिया था और उन्हें इस कलह का जिम्मेदार बताया था. अमर सिंह को इस झगड़े का खलनायक तक बताया गया था.


अब चुनाव आयोग के फैसले के बाद अमर सिंह की पहली प्रतिक्रिया आयी है. अमर सिंह ने कहा है कि जीत यार हार से तय नहीं होता कि कौन सही और कौन गलत है. नेता जी (मुलायम सिंह यादव) उन्हें खलनायक नहीं मानते. अमर सिंह ने कहा है कि परिवार में झगड़े की वजह वो नहीं बल्कि कौमी एकता दल के विलय सहित तीन कारण हैं.


झगड़े का मैं नहीं, तीन कारण थे
अमर सिंह ने कहा, ''झगड़े का कारण मैं नहीं बल्कि कौमी एकता दल का विलय, एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी का हटाया जाना और कुछ मंत्रियों को मंत्री मंडल से निकाला जाना है. ये झगड़े के मुद्दे थे. इनमें से कोई कारण मेरी वजह से नहीं है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद मेरी मुलायम सिंह से बात हुई. उन्होंने पूछा कि क्या करना चाहिए ? मैंने कहा कि जब अपने ही लड़ाई करें तो हार जाना चाहिए.''



मेरी सफलता और असफलता मुलायम तय करेंगे
अमर सिंह ने कहा, "कई लोग सफलता के लिए संबंधों को तोड़ देते हैं और कई लोग संबंधों के लिए सफलता और विफलता का मोह छोड़ देते हैं. मेरे बारे में यही बात एक दिन मुलायम सिंह यादव ने कही थी. मेरी सफलता और असफलता की यही पैमाना है. मैं सिर्फ मुलायम सिंह यादव की वजह से संसद में 24 साल तक रहूंगा, इसमें मेरा इस बार का चयन भी शामिल है.''


एक तरफा प्यार को कोई नहीं बांट सकता
अमर सिंह ने कहा, ''मैंने चुनाव आयोग के फैसले से पहले ही घोषणा की थी कि मैं ना तो इधर हूं ना उधर हूं. मुलायम सिंह ने मुझे भाई कहा है. भाई का फर्ज भी कुछ बनता है. मैंने पहले भी कहा है आज भी कहता हूं एक तरफा प्यार को कोई बांट नहीं सकता.''


ये मुलायम युग नहीं अखिलेश युग है
अमर सिंह ने कहा, ''मैं अभी समाजवादी पार्टी से निष्कासित हूं, मैं इसे मानता हूं. पार्टी में एक युग का परिवर्तन हो चुका है. ये मुलायम युग नहीं अखिलेश युग है. मेरे भविष्य के बारे में व्यंगात्मक टिप्पणी करने वालों से मैं कहना चाहता हूं ना तो मेरा कोई विधायक है ना कोई क्षेत्र. मुझे जीवन में अभी कई काम करने हैं. मुझे जो मिला वो बहुत है.''


कोई कुछ भी कहे दुख नहीं
अमर सिहं ने कहा, ''नेता जी और शिवपाल ने जो उम्मीदवारों की लिस्ट बनी उसमें सिर्फ मेरा बताया हुआ एक नाम था. लेकिन नेता जी एक विवादित वकील के चलते मेरे बताए नाम को काट दिया. इस बात की मुझे जानकारी भी नहीं दी गई. मीडिया कुछ भी कहे मुझे इसका कोई दुख नहीं है.''


अखिलेश को हमेशा आशीर्वाद दिया
अमर सिंह ने कहा, ''अगर भविष्य में मुझे कभी राजनीति में जाने की खुजली हुई तो मैं मुलायम सिंह जी से जरूर पूछूंगा. मुझे जन्म भले ही माता पिता ने दिया हो लेकिन मुझे अवसर मुलायम सिंह यादव ने ही दिया है. जब झगड़ा चरम पर था तब भी मैंने अखिलेश को आशीर्वाद दिया था. मैंने अखिलेश के विवाह, उनका पहला चुनाव, उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के पीछे मैंने ही था. अखिलेश अपने पिता से पूछ लें कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की संतुति किसने की.''


अखिलेश ने बड़प्पन दिखाया
चुनाव आयोग के फैसले के बाद अखिलेश के मुलायम से मिलने पर अमर सिंह ने कहा, "यह अखिलेश का बड़्प्पन है. मैं अब अखिलेश को सलाह तो दे सकता हूं लेकिन उनके साथ काम नहीं कर सकता. ये मुलायम युग नहीं है ये अखिलेश युग है.


सफलता के कई पिता होते हैं और असफलता अनाथ होती है
अमर सिंह ने कहा, ''लड़ाई का मुद्दा जैसा हो लड़ने वालों के चरित्र स्थिर होते हैं. महाभारत में कौरवों की तरफ, द्रोणाचार्य थे, कर्ण थे, भीष्म थे. पांडवों की तरफ श्रीकृष्ण थे. कौरवों की तरफ से लड़ने वालों को पता था कि वे संबंधियों से ही लड़ रहे हैं तो क्या उन्हें खलनायक कहेंगे. कोई भी युग हो उसमें सफलता के कई पिता होते हैं और असफलता अनाथ होती है''


स्वार्थ के लिए मुलायम सिंह का साथ नहीं छोड़ा
अमर सिंह ने कहा, ''एक वीडियो में मुझे कोई कंस कह रहा है तो कोई शकुनी कह रहा है. ना तो मैंने कंस जैसा कोई काम किया और ना ही शकुनी जैसा. कोई मुझे कुछ भी माने लेकिन मुलायम सिंह खालनायक नहीं मानते. मैंने कभी तात्कालिक स्वार्थ के लिए मुलायम सिंह का साथ नहीं छोड़ा.''