नई दिल्ली: यूपी में तीसरे दौर से मुस्लिमों को लेकर बीजेपी के जो आक्रामक रुख दिखाया वो आज गोरखपुर में भी दिखा. अमित शाह का रोड शो मुस्लिम इलाकों की गलियों से होकर गुजरा तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जयश्री राम के नारे लगा दिए.


मुस्लिमों को मोदी, अमित शाह के नारे से तो कोई एतराज नहीं हुआ लेकिन जयश्री राम के नारे उन्हें धमकी जैसे लगे. सवाल ये है कि श्मशान-कब्रिस्तान, कसाब और जयश्री राम के नारों से बीजेपी मुस्लिमों को डरा और चिढ़ा रही है?

छठे दौर का चुनाव प्रचार खत्म होने के कुछ घंटे पहले गोरखपुर की गलियों में अमित शाह के रोड शो में जयश्री राम के नारे गूंजे. गलियां वो थी जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम बसते हैं. मुस्लिमों को बीजेपी के राजनीतिक नारों से एतराज नहीं हुआ लेकिन जयश्री राम के नारे उन्हें चिढाने वाले लगे.

जिस गोरखपुर में अमित शाह ने रोड शो किया उसी गोरखपुर के सांसद हैं योगी आदित्यनाथ. खुले तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ बोलते रहते हैं. सवाल पूछा जा रहा है कि कहीं मुस्लिमों के इलाके में जय श्रीराम के नारे डराने या चिढाऩे के लिए तो नहीं लगाए गए?

योगी दिली इच्छा रखते हैं कि समाजवादी पार्टी हार जाए लेकिन उनकी इस ख्वाहिश में भी मुस्लिम विरोध का जहर घुला हुआ है. तीसरे दौर के चुनाव के दिन से बीजेपी के नेता मुस्लिमों को चुभने वाले बयान दे रहे हैं. शुरूआत फतेहपुर की रैली से खुद पीएम मोदी ने की थी. मोदी बोले तो अमित शाह को भी कसाब याद आय़ा. साक्षी महाराज को भी कब्रिस्तान से रहने की जमीन घटने की फिक्र होने लगी.

मुस्लिमों को चिढ़ाने की बीजेपी की इस चाल ने विरोधियों को मुद्दा थमाया हुआ है. मायावती, अखिलेश, डिंपल यादव बीजेपी के खिलाफ जनता को भड़काने के लिए मुद्दे को कैश कराने की कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

19-20 प्रतिशत मुस्लिम वोट नहीं देंगे या उनके वोट नहीं देने से हार जाएंगे, ये सब सोचकर बीजेपी नहीं चलती. बीजेपी के मुस्लिम विरोधी बयानों से फायदा बीएसपी-समाजवादी पार्टी को मिलना चाहिए. बीजेपी को इसका भी मलाल नहीं. उसका गणित तो ये कहता है कि जयश्री राम के नारे 80 फीसदी हिंदुओं के वोट दिलाने के लिए काफी हैं.