प्रयागराज, मोहम्मद मोईन: कोरोना वायरस के संदिग्धों की पहचान के लिए आरोग्य सेतु के बाद अब एक और ऐप लॉन्च हो गया है. इसका नाम अमृत ऐप है, जिसे देश के नामी आईटी संस्थान प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बायो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों की टीम ने तैयार किया है. सरकारी अमले ने भी इस ऐप की उपयोगिता पर अपनी मुहर लगाते हुए लोगों से इसका इस्तेमाल करने की अपील की है. प्रयागराज जिला प्रशासन की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी इस ऐप का लिंक डाल दिया गया है.
कोरोना संदिग्धों का ऐसे पता लगाएगा ये ऐप
ये ऐप कोरोना के लक्षण वाली बीमारियों की दवा खरीदने वाले संदिग्ध मरीजों, केमिस्ट शॉप, अस्पतालों की ओपीडी व अन्य माध्यमों में संदिग्धों का पता लगाएगी. इस पर अपलोड की गई सभी सूचनाएं कोरोना के कंट्रोल रूम तक पहुंचेंगी. मोबाइल नंबर और पते के जरिये मेडिकल व प्रशासन की टीम संदिग्धों से बात कर उनकी सेहत का हाल जानेगी. उनकी मॉनिटरिंग की जाएगी. जरूरत पड़ने पर उनका सैंपल लिया जाएगा. उन्हें आइसोलेट या क्वारंटीन किया जाएगा और उनका इलाज किया जाएगा. इस ऐप के जरिये संदिग्धों की पहचान कर उनका इलाज करने से कम्युनिटी स्प्रेड यानी सामुदायिक संक्रमण को रोका जा सकेगा, यानी कोरोना को देश में थर्ड स्टेज में जाने से बचाया जाने की कोशिश होगी. अमृत ऐप को प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बायो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की टीम ने संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी के सुपरविजन में तैयार किया है. ऐप तैयार करने वाले प्रोफेसरों और स्टूडेंट्स की टीम की अगुवाई प्रोफेसर शिवेश शर्मा ने की.
सर्दी-खांसी, जुकाम-बुखार वाले मरीजों पर फोकस
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों ये आदेश जारी किया था कि सभी दवा दुकानदारों को पूरे दिन बेची गई दवाओं का ब्यौरा शाम तक एक वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. ऐप में उन मरीजों को फोकस किया जाएगा, जो लगातार सर्दी-खांसी, जुकाम-बुखार व सांस की तकलीफ से संबंधित दवाएं ले रहे हैं. व्यक्तिगत मरीजों के साथ ही उस इलाके की भी पहचान करने की कोशिश की जाएगी, जिन जगहों के लोग ऐसी बीमारियों की दवाएं ज्यादा खरीद रहे हैं. जरूरत पड़ने पर इन इलाकों को कंटेनमेंट जोन में तब्दील किया जाएगा.
अगले हफ्ते गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध होगा ऐप
इस ऐप में दवा दुकानदारों के साथ ही आम नागरिक, डॉक्टर, हॉस्पिटल के प्रभारी व संचालक समेत दूसरे लोग भी डाटा फीड कर सकते हैं. ये ऐप डाटा के आधार पर ही संदिग्धों की पहचान करेगा. फिलहाल, ये एमएलएनआईटी संस्थान और प्रयागराज प्रशासन की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध है. अगले हफ्ते से ये गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध रहेगा. संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी और ऐप तैयार करने वाली टीम के मुखिया प्रोफेसर शिवेश शर्मा के मुताबिक, महामारी रोकने में ये ऐप काफी उपयोगी साबित हो सकता है. प्रयागराज प्रशासन भी इस ऐप के इस्तेमाल के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है और उनसे इसका इस्तेमाल करने की अपील कर रहा है.
यह भी पढ़ें:
ट्रेनों में मजदूरों की मौत पर बैकफुट पर आया रेलवे, यात्रियों को दी ट्रेन में सफर से बचने की नसीहत