पटना: बिहार के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी की चिट्ठी सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. इस चिट्ठी से ऐसा लग रहा है कि बिहार सरकार अपने शिक्षकों को जातीय आधार पर वेतन दे रही है. दरअसल, पिछले दिनों शिक्षा विभाग के अधिकारी ने शिक्षकों को अक्टूबर और नवंबर 2018 का वेतन निर्गत किया था. वेतन की यह राशि सामान्य वर्ग और अनुसुचित जाति वर्ग के शिक्षकों के लिए अलग-अलग दी गई. इस आधार पर सरकार पर ये आरोप लगाया जा रहा है कि वो अपने शिक्षकों को जातीय आधार पर वेतन दे रही है.


इस चिट्ठी के सामने आने के बाद शिक्षक संगठनों ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है. संगठन के अधिकारियों का कहना है कि बिहार सरकार का शिक्षकों को जातीय आधार वेतन भुगतान का आदेश देना विभाजनकारी नीति का हिस्सा है. इस बात को लेकर शिक्षक संगठनों में काफी आक्रोश नजर आ रहा है.


इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि ऐसी व्यवस्था 2001 से ही चली आ रही है. इस मुद्दे पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार के जरिए जो राशि भेजी जाती है, जिससे शिक्षकों को वेतन समायोजित होता है, उसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र देना होता है. पैसा कैटेगरी वाइज आया है, इसलिए उसे कैटेगरी वाइज देने की बात कही गई है.


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बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही बिहार के पूर्वी चंपारण से खबर आई थी कि विद्यार्थियों को जाति व्यवस्था के आधार क्लास में बैठाया जा रहा है. जिसपर हो-हल्ला मचने के बाद अधिकारी संबंधित विद्यालय पर कार्रवाई करने की बात कह रहे थे.



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