कानपुर: गंगा नदी के किनारे बने सुप्रसिद्ध प्राचीन मंदिर आनंदेश्वर मंदिर में रविवार रात से भक्तों की लम्बी कतारें लगी हैं. चारो तरफ बम-बम भोले के जयकारों की आवाज दूर से भी सुनी जा सकती है. बस बाबा शिव की एक झलक पाने के लिए भक्त बेताब हैं. दूध, बेल पत्र और गंगा जल से बाबा का अभिषेक किया जा रहा है. इसके लिए पुलिस प्रशासन ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है. एसपी ने सीओ और बड़ी संख्या में इन्स्पेक्टर और सिपाहियों की तैनाती की है. पूरे परिसर में लगभग तीन दर्जन से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.



रविवार शाम को तेज हवाओं के साथ शुरू हुई बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है. बारिश होने के बाद भी भक्त दर्शन के लिए लाइन पर लगे हैं. आनंदेश्वर मंदिर अपने आप में महाभारत काल का इतिहास समेटे हैं. मंदिर के महंत बताते हैं कि यहां पर महाभारत के कर्ण ने भी पूजा की थी. सिर्फ कर्ण को पता था कि यहां पर भगवान शिव का शिवलिंग है. कर्ण गंगा में स्नानं करने के बाद गुपचुप तरीके से पूजा करते थे. इसके बाद अदृश्य हो जाते थे, लेकिन कर्ण को पूजा करते हुए यहां पर एक गाय ने देखा था.




उस स्थान पर जाते ही गाय के थन से दूध निकलने लगा. गंगा किनारे बसे गांव में रहने वाले गाय के मालिक ने देखा कि गाय को दुहने के वक्त इसके दूध नहीं निकलता है. उसने गाय पर नजर रखना शुरू कर दिया. ग्वाले ने देखा कि गाय जंगल में गंगा किनारे जाकर पूरा दूध एक ही स्थान पर निकाल देती है. उस ग्वाले ने इसकी जानकारी अन्य ग्रामीणों को दी. जब ग्रामीणों ने उस स्थान की खुदाई की तो वहां शिवलिंग निकला.




ग्रामीणों ने शिवलिंग को गंगा जल और दूध से स्नान करा कर गंगा किनारे स्थापित किया. बदलते वक्त के साथ बाबा आनंदेश्वर का यह मंदिर भव्य बनता चला गया. इस मंदिर को भक्त छोटे काशी के नाम से भी पुकारते हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव यहां पर स्वयं निवास करते हैं, यहां पर आने वाले भक्तों के भगवान के दर्शन मात्र से सभी दुःख दर्द मिट जाते हैं. यहां पर खासकर सावन के महीने में देश विदेश से लेकर बड़े-बड़े व्यापारी और आम जनमानस का समूह उमड़ता है.



शिव रात्रि और सावन पर पर्व पर यहां भक्त रुद्राभिषेक कराते हैं. यह मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां पर पूरे 365 दिन भंडारा चलता है. सावन के सोमवार को मंदिर लाखों की संख्या भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं रविवार रात से भक्त कतारों पर खड़े हो जाते हैं और यह क्रम सोमवार देर रात तक चलता है. सावन के सोमवार को यह मंदिर के पट 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं.



आज सावन का पहला सोमवार है और देर रात से भक्तो की लाइन लगी हुई है. मंदिर और जिला प्रशासन की तरफ से ऐसी व्यवस्था की गई है कि सभी श्रद्धालुओं को दर्शन मिल सकें. किसी भी भक्त को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े.