गोरखपुरः कहते हैं कि शस्त्र खुद की रक्षा के लिए लोग रखते हैं. शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले लोगों की संख्या भी हजारों में है. हर रोज सैकड़ों आवेदन शस्त्र के लिए आते हैं. इनमें व्यापारी, आम आदमी और सरकारी कर्मचारी भी होते हैं. कई सरकारी कर्मचारियों के पास शस्त्र का लाइसेंस भी है. ऐसे में लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग में निलंबित कर्मचारी द्वारा फायरिंग की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
गोरखपुर के एडी हेल्थ कार्यालय में बरसों से तैनात रहे कर्मचारी श्रीनिवास वर्मा के देवरिया ट्रांसफर के बाद उसका कहीं पता नहीं था. ऐसे में विभाग ने उसे निलंबित कर दिया गया. निलंबन के बाद श्रीनिवास वर्मा ने लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय की तीसरी मंजिल पर ताबड़तोड़ लाइसेंसी वैपन से फायरिंग की घटना को अंजाम दे दिया. श्रीनिवास वर्मा को गोरखपुर के जिलाधिकारी कार्यायल से साल 2005 में शस्त्र का लाइसेंस जारी किया गया था.
शस्त्र लाइसेंस जारी होने की प्रक्रिया क्या है
अब जान लेते हैं कि इसकी शस्त्र का लाइसेंस जारी होने की प्रक्रिया क्या है. शस्त्र लाइसेंस के आवेदन के लिए 500 रुपए शुल्क है. सिटी मजिस्ट्रेट अजित कुमार सिंह बताते हैं कि ये देखने के बाद कि आवेदन करने वाले की जान को सच में खतरा है. उसे शस्त्र के लाइसेंस की कितनी आवश्यकता है. ये भी जांच की जाती हैं कि उसका कोई आपराधिक इतिहास तो नहीं है. इसके बाद फाइल जिलाधिकारी के पास जाती हैं और वे अपने विवेक से लाइसेंस जारी करते हैं.
2018 के बाद से लाइसेंस नहीं बने
गोरखपुर मंडल के अन्य जिलों में शस्त्र लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं. लेकिन, गोरखपुर में अक्टूबर 2018 के बाद से अभी तक 5082 आवेदन आने के बावजूद एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. लाइसेंस जारी करने वाले आमतौर पर खुद की जान को खतरे का हवाला देते हैं. पूर्व में जारी किए गए लाइसेंस के धारकों को लाइसेंस का रिन्यूवल भी कराना होता है. हालांकि रिन्यूवल और लाइसेंस ट्रांसफर का काम चल रहा है. साल 2013 के अक्टूबर माह में हाईकोर्ट ने शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी थी. अक्टूबर 2018 से हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासनादेश जारी किया गया. उसके बाद से ही फार्म की बिक्री शुरू हो चुकी है.
रोजाना आवेदन करते हैं लोग
शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए आए विनोद शर्मा बताते हैं कि आवेदन जमा किए हैं. वे बताते हैं कि वे राजनीतिक व्यक्ति हैं और जान का खतरा बना रहता है. समय के साथ अपनी सुरक्षा भी जरूरी है. वहीं रिन्यूवल कराने आए शिवकुमार बताते हैं कि वे गार्ड की नौकरी करते हैं.
शिवकुमार की तरह यहां पर रिन्यूवल कराने हर रोज सैकड़ों लोग आते हैं. लेकिन, नए लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाले भी सैकड़ों में हैं. यही वजह है कि अक्टूबर 2018 से अब तक 5082 आवेदन आ चुके हैं. इनमें ज्यादातर युवा, व्यापारी, ठेकेदार, बिल्डर और और सरकारी कर्मचारी हैं.