इंदौर: इंदौर नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बैट से पीटने के बाद सुर्खियों में आए आकाश विजयवर्गीय को लगातार चौथी रात जेल में गुजारनी पड़ी. बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और विधायक आकाश को कल भोपाल की विशेष अदालत से जमानत मिली थी. लेकिन "लॉक-अप" के तय समय तक स्थानीय जेल प्रशासन को उनकी जमानत का अदालती आदेश नहीं मिल पाया जिसकी वजह से उन्हें जेल में रहना पड़ा. आकाश की आज जेल से रिहाई हो सकती है.


समर्थकों ने मनाया जश्न


शनिवार को आकाश को जमानत मिलने के बाद उनके समर्थकों ने जश्न मनाया. बीजेपी समर्थको को जैसे ही जमानत की खबर लगी वे आकाश विजयवर्गीय के कार्यालय के बाहर जमा हुए और ढोल नगाड़े की थाप पर नाच कर खुशी का इजहार किया.


जिला जेल की अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया, "लॉक-अप के शाम सात बजे के नियत समय तक मुझे विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश नहीं मिला. लिहाजा जेल मैन्युअल के मुताबिक हमने उन्हें शनिवार रात रिहा नहीं किया."


उन्होंने बताया कि विजयवर्गीय न्यायिक हिरासत के तहत जिला जेल में बुधवार देर शाम से बंद हैं. जेल विभाग के अधिकारियों ने नियमित प्रक्रिया का ब्योरा देते हुए बताया कि किसी कैदी को जमानत के आदेश की हार्ड कॉपी संबंधित अदालत का अधिकृत व्यक्ति जेल प्रशासन तक पहुंचाता है. लॉक-अप के तय समय के भीतर इस अदालती आदेश के मिलने पर तय औपचारिकताएं पूरी कर कैदी को उसी दिन रिहा किया जाता है.


अधिकारी की पिटाई का मामला


आकाश (34) ने इंदौर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के विरोध के दौरान बुधवार को नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट के बैट से पीट दिया था. कैमरे में कैद पिटाई कांड में गिरफ्तारी के बाद विजयवर्गीय को बुधवार को यहां एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया था.


अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बीजेपी विधायक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके साथ ही, उन्हें 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत के तहत जिला जेल भेज दिया था.


न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद रहने के दौरान बीजेपी विधायक को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला जलाने के पुराने मामले में बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया था.


पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अघोषित बिजली कटौती को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विजयवर्गीय की अगुवाई में चार जून को शहर के राजबाड़ा चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान यह पुतला जलाया था. लेकिन इस प्रदर्शन के लिये प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी. लिहाजा विजयवर्गीय और बीजेपी के अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और दोनों ही मामलों में गिरफ्तार किया गया था.