मध्य प्रदेश: बुधनी, शिवपुरी ही नहीं, इन सीटों पर भी दांव पर है बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा
राज्य के 230 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है. हम आपको उन विधानसभा सीटों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी रहने वाली हैं.
भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों के लिए आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान हो रहा है. नेताओं के लंबे चुनावी प्रचार अभियान, चुनावी वादों और दावों के बाद अब गेंद जनता के पाले में है. मध्य प्रदेश में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी. जबकि बालाघाट जिले के तीन नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों परसवाड़ा, बैहर और लांजी में सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक मतदान होगा. हम आपको उन विधानसभा सीटों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी रहने वाली हैं. आइए उन सीटों पर नजर डालते हैं.
इन सीटों पर चुनाव मैदान में हैं बीजेपी के दिग्गज
बुधनी मध्य प्रदेश में सबसे दिलचस्प मुकाबला बुधनी विधानसभा सीट पर है. बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषण में अरुण यादव को राज्य का भविष्य बताया है. नाम घोषित होने के बाद से ही अरुण यादव बुधनी में जमे हुए हैं. बुधनी विधानसभा में ओबीसी वोटर्स निर्णायक हैं, इसी वजह से कांग्रेस की रणनीति यह थी कि सीएम शिवराज को ज्यादा से ज्यादा समय तक बुधनी सीट पर उलझाकर रखा जाए. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शिवराज के खिलाफ डॉ महेंद्र सिंह चौहान को उतारा था. चौहान बनाम चौहान की लड़ाई में सीएम शिवराज 84 हजार वोटों से जीते थे. शिवराज को 1,28,730 तो वहीं महेंद्र सिंह चौहान को 43,925 वोट मिले थे. बुधनी सीएम शिवराज सिंह चौहान की ना सिर्फ कर्मभूमि बल्कि जन्मभूमि भी है. वोटर्स ने राजनीतिक उलटफेर के बीच भी शिवराज का साथ कभी नहीं छोड़ा लेकिन समय-समय पर अपनी ताकत का एहसास जरुर कराया है. इस बार के चुनाव में उनकी पत्नी साधना सिंह और बेटे कार्तिकेय ने बुधनी में मोर्चा संभाला है.
खुरई बुधनी के बाद मध्य प्रदेश के सागर जिले की खुरई विधानसभा सीट को भी हाई प्रोपाइल सीट माना जा रहा है. इस सीट से मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस के अरुणोदय चौबे उम्मीदवार हैं. पिछले चुनाव में भी मुकाबला इन दोनों के बीच ही था. 2013 में बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 62,127 तो वहीं कांग्रेस के अरुणोदय चौबे को 56,043 वोट मिले थे.
शिवपुरी मध्य प्रदेश का शिवपुरी जिला कभी सिंधिया वंश की समर कैपिटल हुआ करता था. लेकिन आज ये जिला चुनावी समर का एक गढ़ बन चुका है. दोनों ही पार्टियां चुनावी रण में जीत का प्रण लेकर उतरी हैं और इस प्रण की परीक्षा का एक मोर्चा शिवपुरी सीट है. जहां सिंधिया परिवार की साख दांव पर लगी है. शिवपुरी से बीजेपी के टिकट पर यशोधरा राजे सिंधिया हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस के उम्मीदवार के लिए इस जिले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं. यशोधरा शिवराज सरकार में मंत्री भी हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर सिद्धार्थ लाडा चुनाव लड़ रहे हैं. चुनौती बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए होगी. इन सब के बीच आखिरी फैसला शिवपुरी की जनता को करना है कि आखिर बुआ यानी यशोधरा राजे सिंधिया या फिर भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया में उनका नेता कौन है.
भितरवार मध्य प्रदेश में चुनाव विधानसभा का है लेकिन ग्वालियर में ये चुनाव तीन दिग्गज सांसदों के नाक की लड़ाई बन गया है. इस चुनाव में दांव पर इन सांसदों की सियासी साख है. सियासत के वो तीन चेहरे जिनके लिए इस बार ग्वालियर का विधानसभा चुनाव बेहद खास हो गया है उनमें एक तरफ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हैं तो दूसरी ओर राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया. चुनावी मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा ग्वालियर की भितरवार सीट पर चुनाव मैदान में हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस के लखन सिंह यादव चुनाव लड़ रहे हैं. 2013 में लखन सिंह यादव ने अनूप मिश्रा को 6,548 वोट से हराया था. मुरैना से बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा संसद छोड़ विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. ग्वालियर में जिसका सिक्का चलेगा उसका सियासी भविष्य उतना ही मजबूत होगा. लेकिन इन सब के बीच आखिरी फैसला जनता की अदालत को सुनाना है. ग्वालियर में तीनों हाई प्रोफाइल सांसदों के बीच दिलचस्प राजनैतिक युद्ध देखने को मिला है और चुनावी नतीजे ही अब ये तय करेंगे कि ग्वालियर से किस सांसद की आखिरकार जीत होती है.
इंदौर-3 बीजेपी ने अपनी पार्टी के महासचिव और दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को इंदौर-3 से उम्मीदवार बनाया है. विजयवर्गीय के 34 साल के पुत्र पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन जोशी (58) से है. जोशी इसी सीट से पूर्व में विधायक रह चुके हैं.
दतिया दतिया सीट से मध्य प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता और शिवराज सरकार के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनाव मैदान में हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर राजेंद्र भारती चुनाव लड़ रहे हैं.
रहली सागर जिले के रहली विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी नेता और शिवराज सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव का कांग्रेस के कमलेश साहू से मुकाबला है. 2013 के चुनाव में भार्गव ने कांग्रेस के ब्रिजबिहारी पटेरिया को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
गोविंदपुरा मध्य प्रदेश में भोपाल की गोविंदपुरा सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. बाबूलाल गौर गोविंदपुरा से लगातार 10 बार चुनाव जीत चुके हैं. 89 साल के बाबूलाल गौर इस बार गोविंदपुरा से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. इसलिए, मुकाबला और ज्यादा रोचक हो गया है. बीजेपी की ओर बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को मैदान में उतारा गया है. वहीं, कांग्रेस ने इस बार युवा चेहरे गिरीश शर्मा को मैदान में उतारकर गोविंदपुरा में मुकाबला दिलचस्प बना दिया है.
बैतूल बैतूल विधानसभा सीट से एक मिथक जुड़ा हुआ है कि इस सीट से जिस भी दल को मतदाता जीत दिलाते हैं, प्रदेश में वही दल सरकार बनाने में कामयाब होता है. अब इस बार यह मिथक कायम रह पाता है या नहीं, यह तो 11 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा. बीजेपी ने यहां से हेमंत खंडेलवाल तो वहीं कांग्रेस ने निलय डागा को अपना प्रत्याशी बनाया है.
इन सीटों में दांव पर है कांग्रेस की प्रतिष्ठा
चुरहट मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र की यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह चुरहट के ही रहने वाले थे. इसी सीट से अर्जुन सिंह के बेटे और मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर विधायक हैं. इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के शरतेंदु तिवारी से है. बता दें कि शरतेंदु तिवारी, चंद्र प्रताप तिवारी के पोते हैं जिन्होंने 1967 में अर्जुन सिंह को चुरहट सीट से चुनाव हराया था.
झाबुआ झाबुआ सीट से कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया चुनाव मैदान में हैं. कांतिलाल भूरिया मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. विक्रांत भूरिया का मुकाबला बीजेपी के गुमान सिंह दामोर से है.
राऊ मध्य प्रदेश में इंदौर के पास राऊ विधानसभा सीट से कांग्रेस के जीतू पटवारी उम्मीदवार हैं. जीतू पटवारी को कांग्रेस का कद्दावर नेता माना जाता है. वह अक्सर अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. बीते दिनों राऊ से कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने जनसंपर्क अभियान के दौरान मतदाताओं से कहा था कि वो सिर्फ उनका ख्याल रखें, पार्टी गई तेल लेने. उनके बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. बीजेपी ने उनके खिलाफ मधु वर्मा को टिकट दिया है.
भोजपुर मध्य प्रदेश की भोजपुर सीट पर भी कांग्रेस-बीजेपी के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा. इस सीट पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बीजेपी ने उनके खिलाफ सुरेंद्र पटवा को उम्मीदवार बनाया है. सुरेंद्र पटवा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे हैं.
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