यूपी में मोदी की लहर: बीजेपी को मिली जीत ने तोड़ डाले ये मिथक!
लखनऊ: यूपी में बीजेपी को मिली जीत ने कई सारे मिथक तोड़ दिए हैं. यूपी में बीजेपी के परिवर्तन का नारा फल गया. जीत ऐसी हुई की मोदी लहर के सामने राम लहर भी कमजोर पड़ गयी. और सबसे बड़ी बात ये हुई कि यूपी की राजनीति के सालों पुराने सियासी मिथक टूटकर चकनाचूर हो गए.
बीजेपी ने 100 मुस्लिम बहुल सीटों में से 75 पर जीत हासिल की
ओवैसी और मायावती जैसे लोगों की मुस्लिम वोटबैंक वाली सोच धूल चाट रही है. मायावती ने मुस्लिमों पर जोर लगाया, लेकिन एकमुश्त मुस्लिम वोट ही जीत दिलाता है राजनीति के इस मिथक को तोड़ते हुए बीजेपी ने 100 मुस्लिम बहुल सीटों में से 75 पर जीत हासिल की है.
जनमत ने यूपी की राजनीति में दलित और मायावती के बीच न टूटने वाले जोड़ को जड़ से हिला दिया है. बीजेपी 100 दलित बहुल्य सीटों में से 84 सीट जीत गयी है. 2014 से अबतक बीजेपी का दलित वोटों पर कब्जा मायावती और राजनीतिक पंडितों की सोच सुधार देने का महाघोष है.
यादव कभी मुलायम सिंह का साइकिल का साथ नहीं छोड़ सकता इस सियासी सोच को भी नतीजों ने तार तार कर दिया है. यादवलैंड की 60 सीटों में से 41 सीटें जीत बीजेपी ने ये मिथक भी ध्वस्त कर दिया.
मुस्लिम वोट मिला तो जीत पक्की समझो
एक बड़ा मिथक था कि हिंदू वोटर कभी एकजुट नहीं होता, लेकिन इस बार ये मिथक भी टूट गया. 300 के पार पहुंचे सीटों के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि बीजेपी बहुसंख्यक हिन्दुओं के ध्रुवीकरण में सफल रही है और उसने मुस्लिम वोटों के जिताऊ होने का भ्रम भी तोड़ दिया. जीत ने बताया कि बहुसंख्यक वोट एक हो जाए तो अल्पसंख्यक वोटों की रणनीति काम नहीं आती.
बीजेपी ने यादव लैंड कहे जाने वाले इटावा,मैनपुरी, कन्नौज जैसे जिलों में भारी जीत दर्ज कर एसपी के गढ़ के मिथक को भी तोड़ दिया.
मायावती के गढ़ में केसरिया झंडा बुलंद
दलित बहुल बुंदेलखंड के इलाके की सभी सीटें जीत बीएसपी के गढ़ का मिथक तोड़ दिया. देश को लाइन में लगवा देने के राजनीतिक प्रचार को भी नतीजों ने धुआं धुआं कर दिया है साथ ही साफ किया कि यूपी के समाजशास्त्र और मनोविज्ञान का जितना मोदी और शाह समझते हैं उतना यहां की क्षेत्रीय पार्टियां भी नहीं समझती.
#कामबोलताहै के मिथक को तोड़ा
समाजवादी पार्टी के कामबोलताहै,घी,दूध,लैपटॉप और स्मार्टफोन की मुफ्तखोरी को उज्वला गैस ने कड़ी टक्कर देकर तोड़ दिया.मोदी का काम बोलने लगा जबकि अखिलेश के काम को वोटर ने कारनामा समझ लिया.