विधानसभा चुनाव 2018: 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जानें सत्ता के सेमीफाइनल से जुड़ी हर बड़ी खबर
आज आ रहे चुनाव परिणाम 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टियों को हवा का रुख भांपने में मदद कर सकते हैं. साथ ही ये अभी तक के एग्जिट पोल में जितने भी कयास लगाये जा रहे थे उनकी सटीकता के बारे में भी आज के एग्जेक्ट नतीजे से पता चल जायेगा.
नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले घोषित किये जा रहे पांच राज्यों के चुनाव परिणाम सत्ता के सेमीफाइनल की तरह हैं. इन राज्यों के चुनाव परिणाम से 2019 के लिए धुंधली सी तस्वीर तो पेश हो ही जायेगी. पांच राज्यों की 679 विधानसभा सीटों के लिए आ रहे विधानसभा चुनाव परिणाम के जरिए देश के लगभग 20.28 करोड़ लोगों के लिए नेतृत्व का निर्धारण किया जायेगा. ये आबादी देश की लगभग 17 फीसदी है.
इन राज्यों के चुनाव परिणाम के आधार पर पार्टियां 2019 के लिए तैयारियां करेंगी. इन विधानसभा चुनावों में देश के 14.49 करोड़ लोगों को मताधिकार दिया गया था. जो की रूस की कुल आबादी से भी ज्यादा है. इन पांच राज्यों का भौगोलिक विस्तार 9.13 लाख स्क्वायर किलोमीटर है जो देश का कुल 28 फीसदी है. ये इलाका लगभग जर्मनी के बराबर है. आज हम आपको इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से जुड़ी ऐसी ही कुछ खास बातें बताते हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से जुड़ी खास बातें
मध्य प्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों पर हुए चुनावों के लिये आज की जाने वाली मतगणना की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. आज ये तय हो जायेगा की मध्य प्रदेश में पिछले 13 सालों से जारी शिव'राज' कायम रहता है या फिर कांग्रेस 15 साल बाद एक बार फिर से सत्ता के सिंहासन पर काबिज होती है. बता दें कि राज्य में वैसे तो पिछले 15 साल से बीजेपी की सरकार है, लेकिन सरकार बनने के पहले दो साल उमा भारती और बाबूलाल गौर राज्य के सीएम रहे थे.
मध्य प्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 में किया गया था. देश के मध्य भाग में स्थित होने के कारण इस राज्य को मध्य प्रदेश नाम दिया गया था. ये नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था. मध्य प्रदेश को सांस्कृतिक आधार पर निमाड़, मालवा, बुंदेलखंड, बघेलखंड और ग्वालियर (चंबल) में बांटा जाता है. प्रदेश के गठन के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविशंकर शुक्ल राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे.
मध्य प्रदेश में सबसे लंबे वक्त तक सीएम का पद संभालने का रिकॉर्ड वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम रहा है. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी 165 सीटें (44.88 प्रतिशत) जीत कर सत्ता की हैट्रिक लगाई थी. वहीं, उस वक्त कांग्रेस को 58 सीटें (36.38 प्रतिशत), बीएसपी को 4 सीटें (6.29 प्रतिशत) और अन्य के खाते में 3 सीटें (5.38 प्रतिशत) आई थीं. अाज होने वाली मतगणना से तय होगा की प्रदेश में शिवराज की सत्ता कायम रहती है या फिर कोई नया शख्स सीएम पद संभालता है. आज होने वाली काउंटिंग से पहले हम आपको मध्य प्रदेश और विधानसभा चुनाव से जुड़ी कुछ खात बाते बताते हैं.
1. मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं, किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 115+1 सीटें जीतना जरूरी हैं. 2. मध्य प्रदेश में पिछले 15 सालों से बीजेपी सत्ता में है,वहीं शिवराज सिंह रिकॉर्ड 13 साल से सीएम का पद संभाले हुए हैं. 3. बीजेपी से पहले कांग्रेस ने 1993 से लेकर 2003 तक 10 साल सत्ता की बागडोर संभाली थी. उस वक्त दिग्विजय सिंह सूबे के मुखिया रहे थे. 4. मध्य प्रदेश में वर्तमान चुनाव को मिलाकर अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. सूबे में पहली बार चुनाव 1951 में हुये थे. 5. इस चुनाव के लिए 1,094 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 2,899 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 2,644 पुरूष, 250 महिलाएं और पांच ट्रांसजेंडर शामिल हैं. 6. मध्य प्रदेश में कुल मिलाकर 75.05 फीसदी वोटिंग रिकॉर्ड की गई, जो पिछली बार के मुकाबले लगभग 3 फीसदी ज्यादा है. 7. मध्य प्रदेश में इस बार कुल 5,04,95,251 मतदातों को मताधिकार हासिल था. जिनमें 2,63,01,300 पुरुष, 2,41,30,390 महिलाएं और 1,389 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल थे. 8. मध्य प्रदेश में चुनावी बाजी जीतने के लिए पीएम मोदी ने 13, राहुल गांधी ने 27, अमित शाह ने 25 और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 15 रैलियां की थी.
मध्य प्रदेश का चुनावी समर जीतने के लिए नेताओं ने एक दूसरे के ऊपर तीखे जुबानी हमले करने से भी कोई गुरेज नहीं किया. चुनाव के वक्त कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ का एक वीडियो सामने आया था. जिसमें कमलनाथ ये कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि अगर मुस्लिम इस चुनाव में 90 फीसदी मतदान नहीं करते हैं तो यह हमारे लिए बड़ा नुकसान होगा. उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा था कि आप 80 प्रतिशत कह रहे हैं और मैं लगभग 90 प्रतिशत की बात कर रहा हूं.
राज बब्बर ने एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र की मां का जिक्र करते हुए कहा था, "प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी कहते थे कि डॉलर की तुलना में, रुपये का मूल्य लगातार गिर रहा है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री की उम्र का लिहाज भी नहीं किया था. तब मोदी ने कहा था कि रुपया मनमोहन सिंह की उम्र जितना गिर गया है" आगे बोलते हुए उन्होंने कहा "हमारी परंपरा हमें इस बात की अनुमति नहीं देती है. लेकिन फिर भी हम यह कहना चाहते हैं कि अब तो रुपये का मूल्य आपकी सम्मानित मां की उम्र के जितना गिर गया है.
वहीं, चुनाव के वक्त पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का भी एक बयान सामने आया था. जिसमें वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को बता रहे हैं कि कांग्रेस का मानना है कि उनके भाषणों से वोट कट सकते हैं. इसलिए वो प्रचार नहीं कर रहे हैं.
तीखी बयानबाजी के इस क्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमलनाथ पर धावा बोलते हुए कहा था, "मैं कहना चाहता हूं कि कमलनाथ जी, अपना अली रखें, हमारे बजरंगबली हमारे लिए पर्याप्त हैं." वहीं राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा था, "मुझे समझ में नहीं आता कि राहुल गांधी क्या कहते हैं. कभी-कभी यह समझना मुश्किल होता है कि वो भारत की बात कर रहे हैं या फिर पाकिस्तान की बात कर रहे हैं. कांग्रेस को इटली से एकमात्र चीज माफिया मिली है."
राजस्थान विधानसभा चुनाव से जुड़ी खास बातें
आज आने वाले चुनाव परिणामों के बाद तय होगा की राज्य में वसुंधरा राजे का राज कायम रहता है या फिर हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन करने वाला राजस्थान इस बार भी अपनी इसी रीत को कायम रखता है. लगभग सभी एग्जिट पोल के नतीजों में वसुंधरा राजे को सत्ता से बाहर जाता हुआ बताया गया था. लेकिन आज एग्जेक्ट रिजल्ट की बारी है.
देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित राजस्थान का अपना एक गौरवमई और प्रभावशाली इतिहास रहा है. बीते वक्त में राजस्थान पर मूलतः राजपूत शासकों का राज रहा था. ब्रिटिश शासन के वक्त राजस्थान को 'राजपूताना' के नाम से भी जाना जाता था. राजस्थान का मतलब भी 'राजाओं का स्थान' होता है. देश की आजादी से बाद 30 मार्च 1949 को तत्कालीन राजपूताना रियासतों के विलय कर वर्तमान राजस्थान का गठन किया गया.
आजादी के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कद्दावर नेता हीरालाल शास्त्री सूबे के पहले मुख्यमंत्री बने. उसके बाद से लगभग राज्य में मुख्य तौर पर 1993 तक कांग्रेस की सरकार रही. लेकिन उसके बाद से जो सरकारों की अदला-बदली की शुरुआत हुई वो आज तक जारी है. अब देखना दिलचस्प होगा की राजस्थान अपनी इस रीत को कायम रखता है या फिर वसुंधरा इस मिथक को तोड़ देती हैं. आज हम आपको राजस्थान चुनाव से जुड़ी ऐसी ही कुछ खास बातें बताते हैं.
200 सदस्यों वाली राजस्थान में विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 100+1 का आंकड़ा पार करना होता है.
इस वक्त तक राज्य की कमान वसुंधरा राजे के हाथ में है. वसुंधरा इससे पहले भी एक बार राजस्थान की सत्ता संभाल चुकी हैं.
200 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में इस बार 2,274 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है.
इस बार के चुनाव में लगभग 73.62 फीसदी लोगों ने मतदान किया जो कि पिछली बार के मुकाबले लगभग 2 फीसदी कम था.
राजस्थान में कुल 477,89,815 मतदाता हैं. जिनमें से 248,36,699 पुरुष और 227, 17, 518 महिला वोटर्स हैं.
राजस्थान का रण जीतने के लिए पीएम मोदी ने 13, राहुल गांधी ने 24, अमित शाह ने 21 और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 24 रैलियां की थी
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से जुड़ी खास बातें
छत्तीसगढ़ में आज 90 विधानसभा सीटों के लिए किये गए मतदान की गिनती की जाएगी. इसके साथ ही राज्य में नई सरकार के गठन के लिए रास्ता साफ हो जाएगा. 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग कर छत्तीसगढ़ की गठन किया गया था. जिसके बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता अजीत जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन सिर्फ 3 साल और 36 दिनों के बाद बीजेपी सत्ता के सिंहासन पर जो काबिज हुई तो 15 साल बाद भी वो यहां पर कायम है. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 49 सीटें (41.04 फीसदी वोट), कांग्रेस को 39 सीटें (40.29 फीसदी वोट), बीएसपी को 1 सीट (4.27 फीसदी वोट) और अन्य को 1 सीट मिली थीं.
कहा जाता है किसी वक्त इस क्षेत्र में 36 गढ़ हुआ करते थे और इसी के आधार पर इसे छत्तीसगढ़ नाम दिया गया था. 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा पर पिछले 15 सालों से बीजेपी का भगवा ध्वज लहरा रहा है. लगातार 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद बीजेपी के खिलाफ एक सत्ता विरोधी माहौल दिखाई दे रहा है. लेकिन कभी राज्य में कांग्रेस के झंडाबरदार रहे अजीत जोगी ने अलग पार्टी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़) बनाकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है. आज हम आपको छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से जुड़ी ऐसी ही कुछ खास बातें बताते हैं.
90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 45+1 सदस्यों समर्थन की जरूरत होती है.
छत्तीसगढ़ में पिछले 15 सालों से बीजेपी सत्ता में बरकरार है. साथ ही पिछले 15 साल से रमन सिंह प्रदेश की कमान अपने हाथ में लिए हुए हैं.
छत्तीसगढ़ में अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें लगातार 3 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है.
राज्य में लगभग 1.85 करोड़ वोटर्स ने 1,269 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया है.
इस बार छत्तीसगढ़ में 76.35 फीसदी वोटिंग की गई जो 2013 के मुकाबले लगभग 1 फीसदी कम थी.
छत्तीसगढ़ का गढ़ फतह करने के लिए पीएम मोदी ने 5, राहुल गांधी ने 19, अमित शाह ने 12 और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 22 रैलियां की थी.
इन विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के लिए नेताओं ने कई बार जुबानी मर्यादा को भंग किया. बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि छठ पूजा करने वाली मां बुद्धिमान बच्चों को जन्म देती हैं लेकिन फिर भी सोनिया गांधी छठ समारोहों को अनदेखा करती रही हैं. वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने छत्तीसगढ़ में जशपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि इटली से आयातित एजेंटों ने राष्ट्रीय-विरोधी गतिविधियों को अपनाया हुआ है.
तेलंगाना विधानसभा चुनाव से जुड़ी खास बातें
करीब पांच साल पहले आंध्र प्रदेश से अलग करके गठित किये गये तेलंगाना में दूसरी बार विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित करने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. आज तय हो जायेगा की केसीआर दूसरी बार सत्ता में वापसी करते हैं या फिर प्रदेश की कमान किसी अन्य व्यक्ति के हाथों में जाती है. जून 2014 में गठित हुए तेलंगाना में हुए पहले चुनाव में कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव ने रिकॉर्ड जीत दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी. लेकिन उन्होंने तय समय से एक साल पहले ही अपना पद छोड़कर चुनाव में जाने का फैसला किया.
तेलंगाना राज्य का जन्म लंबे आंदोलन के बाद से हुआ था. माना जाता है तेलंगाना शब्द तेलगु भाषा के तेलु शब्द के बहुवचन रूप तेलूंगा से लिया गया है. इसका मतलब "सफेद चमड़ी लोगों" होता है. वहीं कुछ जगह कहा गया है कि यह संस्कृत शब्द त्रिलंगा से लिया गया है. 119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा में जीत दर्ज के लिए टीआरएस, कांग्रेस, बीजेपी, टीडीपी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन मैदान में है. आज आने वाले परिणाम के बाद ये तय हो जायेगा की राज्य की कमान किस के हाथों में जाती है.
चुनाव परिणामों से पहले हम आपको इस चुनाव से जुड़ी कुछ खास बाते बताते हैं.
119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के लिए 59+1 सदस्यों की जरूरत होती है.
तेलंगाना के गठन के बाद हुए चुनावों में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने सबसे ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाई थी.
तेलंगाना के गठन के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.
राज्य के 2.73 करोड़ मतदाताओं ने 1,821 मतदाताओं के भाग्य का फैसला किया.
इस बार के चुनाव में लगभग 73 फीसदी वोटिंग की गई जो पिछले बार के मुकाबले 1 फीसदी कम था.
तेलंगाना में इस बार पीएम मोदी ने 3, राहुल गांधी ने 16, अमित शाह ने 12, योगी आदित्यनाथ ने 4 और सोनिया गांधी ने 1 रैली की थी.
इस बार के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में नेताओं ने एक दूसरे पर जम कर निशाना साधा. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव जीतने पर हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर करने का एलान किया. साथ ही योगी ने हैदराबाद की रैली में कहा था कि अगर बीजेपी तेलंगाना में सत्ता में आती है तो एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी उसी तरह राज्य छोड़कर भागना पड़ेगा जिस तरह हैदराबाद के निजाम भाग गए थे.
स्वामी परिपूर्णानंद ने लोगों से हिंदुओं के कल्याण के लिए बीजेपी को वोट देने की अपील की. उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी राज्य में यीशु को शासन करने का वादा कर रही है, जबकि टीआरएस पार्टी निजाम के शासन की प्रशंसा कर रही है." तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने एक चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को 'मतापारायण पिची' (सांप्रदायिक पागलपन) की बीमारी बता दिया था.
अकबरुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी को चाय वाली बात पर खूब तंज कसा था. उन्होंने कहा था "आज, आप हमारे साथ मुकाबला कर रहे हैं और हमसे पूछ रहे हैं कि हमने क्या किया है? लेकिन तुमने क्या किया है?" अकबरुद्दीन ने मोदी संबोधित करते हुए हैदराबाद में एक रैली में कहा, "हर बार, आप चाय, चाय और सिर्फ चाय के बारे में बात करते हैं" उन्होंने कहा, "कठोर चाय, मुलायम चाय, चाय केतली, चाय का पानी, चाय का स्टोव कहते हो. क्या वो [मोदी] प्रधान हैं मंत्री या कुछ और? वह वक्त गया जब एक चाय बेचते थे." अकबरुद्दीन ने कहा, "अब प्रधान मंत्री हो प्रधान मंत्री की तरह व्यवहार करो."
मिजोरम विधानसभा चुनाव की खास बातें
उत्तर पूर्व की सात बहनों में से एक मिजोरम की 40 सदस्यों वाली विधानसभा के चुनाव परिणाम आज घोषित किये जायेंगे. मिजोरम में पिछले 10 सालों से कांग्रेस की सत्ता कायम है और पु ललथनहवला राज्य के मुख्यमंत्री हैं. राज्य में इस बार के चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और विपक्षी एमएनएफ के बीच है. वहीं बीजेपी ने भी राज्य में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की है.
मिजोरम फरवरी 1987 में भारत का 23 वां राज्य बना था. कहा जाता है कि मिजोरम स्थानीय भाषा के मिज़ो शब्द से लिया गया है. इसका मतलब 'पर्वतनिवासीयों की भूमि' होता है. आज हम आप को मिजोरम विधानसभा चुनाव से जुड़ी ऐसी ही कछ खास बातें बताते हैं.
40 सदस्यों वाली मिजोरम विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 20+1 सदस्यों की जरूरत होती है.
मिजोरम में 2008 से कांग्रेस सत्ता पर काबिज है और पु ललथनहवला राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
वर्तमान चुनाव को मिलाकर राज्य में 12वीं बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.
मिजोरम में इस बार 80 फीसदी मतदान किया गया जो पिछली बार के मुकाबले लगभग 2 फीसदी कम है.
राज्यमें 7.70 लाख मतदाताओं ने 209 उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला किया है.
इस बार के चुनाव में पीएम मोदी ने 1 रैली, राहुल गांधी ने 2 रैली औऱ अमित शाह ने 2 रैलियां की थी.