कानपुर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश तीन घंटे देरी से कानपुर पंहुचा. जाजमऊ पुल पर सुबह से इंतजार रहे हजारों लोगों ने उनके अस्थि कलश पर फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. जाजमऊ से बिठूर के पत्थर घाट तक 35 किलोमीटर की अस्थि कलश यात्रा में पूरा शहर सड़क पर उतर आया.

जहां से भी यात्रा निकली, सभी धर्म और वर्ग के लोगों ने श्रद्धांजलि दी. कलश यात्रा के पीछे सैकड़ों वाहनों का हुजूम साथ में चल रहा था. उनको चाहने वाले उनके अस्थि कलश को देखना चाहते थे औक नमन करना चाहते थे.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कानपुर से बहुत गहरा रिश्ता रहा है. अटल बिहारी ने कानपुर में अपना छात्र जीवन व्यतीत किया था. उन्होंने राजनीति के हुनर भी यहीं से सीखे. डीएवी कॉलेज से उन्होंने राजनीति शास्त्र से मास्टर डिग्री ली.



डीएवी के छात्रावास में रहकर उन्होंने पढाई पूरी की. अपनी कविताओ से लोगों के दिलों में जगह बनाई. छात्र जीवन में जब वो कविता पढ़ते थे तो लोग उन्हें सुनने आते थे. उनके पास अपनी भाषा शैली से लोगों को अपना दीवाना बनाने का हुनर था.

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अटल जी के अस्थि कलश का अन्य पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी स्वागत किया. उनके अस्थि कलश पर पुष्प अर्पित कर नमन किया. जैसे-जैसे अस्थि कलश का कारवां बढ़ता गया लोग पुष्पों की वर्षा करते रहे. अपने जननेता के अस्थि कलश को देखने के लिए महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों की भीड़ लगी रही. सभी ने हाथ जोड़ नमन किया.

देव भूमि बिठूर के पत्थर घाट पर 11 आचार्यों के वैदिक मंत्रोचारण के साथ गंगा में उनकी अस्थियों को विसर्जित किया जायेगा. यह यात्रा शाम लगभग साढ़े छह बजे तक बिठूर पहुंचेगी. अस्थियों को नानाराव पार्क में अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा. इसके बाद सभी मंत्री, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता आधा किलोमीटर तक पैदल चलकर घाट तक पहुंचेगे.