अटल बिहारी वाजपेयी का जाना राजनीति के मुखर स्वर का मौन हो जाना है: अखिलेश यादव
अखिलेश ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि.. स्व. अटल जी ने राजनीति को दलगत राजनीति से ऊपर उठाया, सदैव अपने दल के सिद्धांतों और अपने दर्शन पर अडिग रहना सिखाया, जब भी राजनीति भटकी उसको सही मार्ग दिखाया, विदेशों से मित्रता का पाठ पढ़ाया. अटल जी का जाना भारतीय राजनीति एवं साहित्यिक जगत के मुखरित स्वर का मौन हो जाना है. मौन नमन.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. उसके बाद अखिलेश ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि.. स्व. अटल जी ने राजनीति को दलगत राजनीति से ऊपर उठाया, सदैव अपने दल के सिद्धांतों और अपने दर्शन पर अडिग रहना सिखाया, जब भी राजनीति भटकी उसको सही मार्ग दिखाया, विदेशों से मित्रता का पाठ पढ़ाया. अटल जी का जाना भारतीय राजनीति एवं साहित्यिक जगत के मुखरित स्वर का मौन हो जाना है. मौन नमन. इसके साथ अखिलेश ने एक फोटो भी अटैच की है जो उनके शादी की है और उस तस्वीर में अटल बिहारी वाजपेयी उन्हें गुलदस्ता देते नजर आ रहे हैं.
बता दें कि स्वास्थ्य संबंधी समस्या की वजह से लगभग एक दशक से सार्वजनिक जीवन से दूर 93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री को मूत्र मार्ग में संक्रमण की वजह से 11 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल ने कहा, "उन्होंने गुरुवार शाम 5:05 बजे अपनी अंतिम सांस ली."
स्व. अटल जी ने राजनीति को दलगत राजनीति से ऊपर उठाया, सदैव अपने दल के सिद्धांतों व अपने दर्शन पर अडिग रहना सिखाया, जब भी राजनीति भटकी उसको सही मार्ग दिखाया, विदेशों से मित्रता का पाठ पढ़ाया. अटल जी का जाना भारतीय राजनीति एवं साहित्यिक जगत के मुखरित स्वर का मौन हो जाना है. मौन नमन! pic.twitter.com/1w4EOgr9qG
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 17, 2018
एक नजर अटल के सियासी सफर पर वाजपेयी 3 बार प्रधानमंत्री रहे. वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी. वाजपेयी 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी. 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और पांच सालों का कार्यकाल पूरा किया. इस दौरान उन्होंने पड़ोसी देशों से रिश्ता मजबूत करने के लिए कई कोशिश की.
वाजपेयी में विदेश नीति मुद्दे की विशिष्ट योग्यता थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार कांफ्रेंस में पाकिस्तान के कश्मीर अभियान का जवाब देने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने के लिए चुना था.
93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री को मूत्र मार्ग में संक्रमण की वजह से 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. उन्होंने कल शाम 5:05 बजे अंतिम सांस ली.