लखनऊ: यूपी के तेज़ तर्रार पुलिस अफ़सर राजेश साहनी ने आत्महत्या कर ली है. वे एटीएस यानी एंटी टेररिस्ट स्कवाड में एलएसपी थे. आज अपने ऑफ़िस में उन्होंने अपने सर्विस रिवॉल्वर से कनपटी पर गोली मार ली. ऐसा करने से पहले साहनी ने अपना कमरा बंद कर लिया था. बिहार के रहने वाले राजेश साहनी की गिनती यूपी के बेहद ईमानदार और निडर पुलिस अधिकारियों में होती थी वे 1992 बैच के पीपीएस अफ़सर थे. वे कई सालों तक डीजीपी के पीए भी रह चुके थे.

आनन्द कुमार ADG लखनऊ ने कहा, " एक दुखद खबर हमारे एक होनहार और जाबाज़ पुलिस अफसर ने आज दोपहर 12.45 पर आत्महत्या कर ली है.आत्महत्या के क्या कारण रहे हैं लखनऊ पुलिस इसकी गहनता से जांच कर रही है. राजेश साहनी उत्तर प्रदेश एटीएस में तैनात थे. उन्होंने ड्राइवर से पिस्टल मंगाई और कार्यालय में ही खुद को गोली मार ली.''

पुलिस सेवा में आने से पहले टीवी पत्रकार थे राजेश साहनी
पुलिस सेवा में आने से पहले राजेश साहनी एक टीवी पत्रकार थे. वे रजत शर्मा, विनोद कापडी, मनीष सिसोदिया और शाजी ज़मां के साथ भी काम कर चुके थे. आज से वे छुट्टी पर जाना चाहते थेराजेश साहनी को अपनी इकलौती बेटी का टाटा इंस्टीचूट ऑफ़ सोशल साइंस में एडमिशन कराना था. उनके एक क़रीबी दोस्त ने बताया कि वे पिछले कुछ दिनों से काम काज को लेकर तनाव में थे. उन्होंने दस दिनों की छुट्टी ले ली थी. आज उन्होंने अपने ड्राइवर मनोज से सरकारी पिस्तौल अपने घर से मंगवाई . राजेश ने मनोज से कहा था कि उन्हें किसी ऑपरेशन पर जाना है.



घर से मंगाई पिस्तौल और मार ली गोली
घर से पिस्तौल आने के बाद उन्होंने दोपहर 12 बज कर 30 मिनट पर ख़ुद को गोली मार ली. मौक़े पर ही उनकी मौत हो गई. छुट्टी पर जाने से पहले उनके ख़ुदकुशी करने पर तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं. एडीजी रैंक के एक आईपीएस अधिकारी ने बताया कि उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है. घर में राजेश के सबसे बड़े अच्छे रिश्ते थे. लेकिन एटीएस ऑफ़िस में काम को लेकर वे थोड़े परेशान थे.

बहादुरी की मिसाल देते थे लोग

राजेश साहनी को जीप के बोनेट पर घुमाने की ख़बर की देश भर में बड़ी चर्चा हुई थी.ये बात 2005 की है. तब मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम थे. राजेश साहनी उन दिनों लखनऊ में कैसरबाग इलाक़े के सीओ थे. वे गाड़ियों की चेकिंग कर रहे थे. अचानक उन्हें समाजवादी पार्टी के झंडे और हूटर लगी एक खुली जीप तेज़ी से आते हुए दिखी. उन्होंने गाड़ी रोकने की कोशिश की. जीप में सवार लड़कों ने उन पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की. राजेश ने जान बचा कर जीप की बोनेट पकड़ ली. काफ़ी देर तक सड़क पर लड़के उसी हालत में जीप दौड़ाते रहे. लेकिन राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और उन्हें गिरफ़्तार कर ही लिया.

बीजेपी विधायकों को धमकी दिए जाने वाले मामले की जांच कर रहे थे साहनी
एटीएस में रहते हुए राजेश साहनी कई बड़े ऑपरेशन टीम की अगुवाई कर रहे थे. बीजेपी विधायकों को धमकी दिए जाने वाले केस की जांच भी उनके पास ही थी. पढ़ने लिखने में भी राजेश की बड़ी रूचि थी. साहित्य सम्मेलनों में वे अक्सर देखे जाते थे. उन्हें जाननेवाला हर व्यक्ति उनकी तारीफ़ करता था.