मेरठ: गंगा खादर में शराब माफिया के डेरे पर छापा मारना पुलिस को भारी पड़ा है. सादी वर्दी में रौब गालिब करने पहुँचे थानेदार की जमकर पिटाई हुई और पुलिस की AK-47 राइफल भी हमले में लुट गयी. राइफल बरामदगी के बाद एसएसपी ने राइफल लूटे जाने की खबर का खंडन किया है.


मेरठ के थाना किठौर के थानेदार प्रमोद कुमार गौतम 11 जुलाई को थाने की एक जीप और एक निजी कार में पुलिस टीम को लेकर गंगा खादर के गाँव असगरीपुर में कच्ची शराब के अड्डों पर छापा मारने पहुंचे थे. पुलिस ने यहां चल रही कच्ची शराब की एक भट्टी को नष्ट किया और 50 लीटर कच्ची शराब बरामद की. शराब बनाते हुए पुलिस ने गुरजीत नाम के एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया.

सादी वर्दी में छापेमारी करने पहुँचे थानेदार प्रमोद कुमार गौतम ने सिपाहियों के हाथ आरोपी गुरजीत को थाने की जीप से किठौर थाने के लिए रवाना कर दिया. बरामद शराब लेकर गये सिपाहियों के पास जिम्मेवारी ज्यादा होने की वजह से एक सिपाही की AK-47 राइफल थानेदार ने ले ली और निजी गाड़ी के साथ वहीं रूक गये.

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इसी दौरान वहाँ इकठ्ठा हुए ग्रामीणों ने थानेदार प्रमोद कुमार गौतम और उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया. निजी गाड़ी के साथ मौजूद थानेदार को मुखबिर समझकर ग्रामीणों ने जमकर धुन दिया और हमले के दौरान उनकी कीमती रौलेक्स घड़ी, सीयूजी मोबाइल और AK-47 राइफल लूट ली.

हमले की सूचना मिलते ही किठौर के अलावा आसपास के थानों की फोर्स मौके पर भेजी गयी. मेरठ मुख्यालय से पुलिस अफसर भी मौके पर पहुँचे और वहाँ डेरा के सरदार की मध्यस्थता के बाद लूटी गयी राइफल और सीयूजी मोबाइल फोन बरामद कर लिया. थानेदार की कीमती घड़ी का पता नही चल सका है.

पुलिस पर हमला और AK-47 राइफल लूट की सूचना सोशल मीडिया के जरिये लखनऊ तक पहुँची तो पुलिस अफसरों के हाथ-पाँव फूल गये. इसके बाद पुलिस अफसर राइफल लूट की घटना को राइफल छीनने का प्रयास बताते नजर आये.

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मेरठ एसएसपी राजेश कुमार पांडेय ने राइफल लूट को महज अफवाह बताते हुए सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा है कि राइफल सुरक्षित है और लूटी नहीं गयी है. गिरफ्तार आरोपी और बरामद शराब भी सुरक्षित तरीके से थाने भेजी गयी थी.

पुलिस पर हमला और मुठभेड़ का मुकदमा थानेदार प्रमोद कुमार गौतम की ओर से किठौर थाने में दर्ज कराया गया है. मुकदमे में 11 नामजद और तीन दर्जन से ज्यादा अज्ञात आरोपी शामिल किये गये है. थानेदार समेत हमले के शिकार पुलिसकर्मियों का मेडीकल परीक्षण भी कराया गया है. किठौर, हस्तिनापुर, मवाना, परीक्षितगढ़ और सरूरपुर कच्ची शराब बनाने के गढ़ माने जाते है.