चुनावी मौसम की आहट के बीच एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में हैं अयोध्या और राम मंदिर
अयोध्या विवाद एक बार फिर से चर्चा में है. गली कूचों से लेकर सियासी गलियारों में और चाय की दूकान से लेकर राजनैतिक बयानों तक में अयोध्या की चर्चा हो रही है.
लखनऊ: जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे राम मंदिर और अयोध्या चर्चा के केंद्र में आते जा रहे हैं. अगले कुछ दिनों में ही 5 राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं. एक ओर आरएसएस ने राम मंदिर की बात की है तो दूसरी ओर शिवसेना ने भी पूछ लिया है कि राम मंदिर जुमला तो नहीं था. सुप्रीम कोर्ट में भी अयोध्या विवाद पर सुनवाई शुरू होने वाली है. हाल ही में स्वामी परमहंस आमरण अनशन पर भी बैठ गए थे.
2019 का लोकसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा? क्या ये मुद्दे बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा होंगे या फिर हिन्दू-मुस्लिम और अयोध्या?
मोहन भागवत ने कल दशहरा रैली की थी. इस रैली में उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया कि कुछ भी करें, राम मंदिर बनना चाहिए. कानून से बनता है तो कानून बनना चाहिए. मोहन भागवत ने नागपुर में कहा, ''श्रीराम मंदिर का बनना स्वगौरव की दृष्टि से आवश्यक है, मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा.''
भागवत ने कहा, 'राम जन्मभूमि स्थल का आवंटन होना बाकी है, जबकि साक्ष्यों से पुष्टि हो चुकी है कि उस जगह पर एक मंदिर था. राजनीतिक दखल नहीं होता तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता. हम चाहते हैं कि सरकार कानून के जरिए (राम मंदिर) निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे.'
इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 25 नवंबर को अयोध्या जाने का एलान किया है. उद्धव ठाकरे ने मुंबई में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ''हम सभी को चेतावनी देते हैं जो सोचते हैं कि हिंदुत्व की मृत्यु हो गई है. हम अभी जीवित हैं. हम दुखी हैं कि राम मंदिर का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है. मैं 25 नवंबर को अयोध्या का दौरा करूंगा.''
प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि बीजेपी सरकार के पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल में ऐसा कानून क्यों नहीं लाया गया. तोगड़िया ने आरोप लगाया कि आरएसएस अब यह मुद्दा उठा रही है क्योंकि चुनाव नजदीक है और बीजेपी सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक है. उन्होंने कहा,"केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के सभी मोर्चो पर विफल रहने और कई राज्यों और 2019 में लोकसभा चुनाव होने के मद्देनजर राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है."
(फाइल फोटो)कुछ दिन पहले ही राम जन्म भूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदांती ने दावा किया था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 6 दिसंबर से शुरू हो जाएगा और मुस्लिमों को अयोध्या के बाहर जमीन दी जाएगी.
राम जन्मभूमि न्यास के मुखिया महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को कोई नहीं रोक सकता, अयोध्या में राम मंदिर अवश्य बनेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास मंदिर निर्माण के लिये यह सही समय है.
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवी भी राम मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं. वे लगातार इस मुद्दे पर बयान दे रहे हैं. अपने ताजा बयान में उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद के पक्षकार मुल्ला उनके विरुद्ध माहौल खराब कर उन्हें भीड़-तंत्र के जरिए मरवाने की साजिश कर रहे हैं. अयोध्या राम की नगरी है और बाबरी ढांचा मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था. इसलिए हिंदुस्तान की पवित्र भूमि पर बाबरी एक कलंक की तरह है.
प्रतीकात्मक तस्वीरहाल ही में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा था कि किसी को राम मंदिर बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जब समय आ जाएगा तो भगवान राम खुद अपने मंदिर का निर्माण करा लेंगे. इससे पहले सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्वीट क्या था, 'राम लला हम आएंगे, मंदिर हमी बनाएंगे.'
समाजवादी पार्टी ने भव्य विष्णु मंदिर की बातें शुरु कर दी हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मंदिर-मंदिर जाते नजर आ रहे हैं. वर्तमान हालातों को देखते हुए लगता तो यही है कि आने वाले चुनाव में अयोध्या और राम मंदिर चर्चा के केंद्र में रहेंगे.