लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस पर सुनवाई के आखिरी दिन मध्यस्थता पैनल ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद सूत्रों ने दावा किया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन के बदले कहीं और जगह दिए जाने पर सहमत हुआ है और इसके बदले कुछ शर्तें रखी हैं. अब सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट को नहीं, हमने मध्यस्थता पैनल को एक सेटेलमेंट प्रपोजल (समझौता प्रस्ताव) दिया है."
फारूकी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड ने अपील वापस लेने का कोई हलफनामा नहीं दिया है. उन्होंने कहा, "हमने मध्यस्थता पैनल को जरूर सेटेलमेंट का एक प्रपोजल दिया है. सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, उसका हम स्वागत करेंगे और उसका पालन करेंगे."
फारूकी ने कहा, "हमने मध्यस्थता पैनल को जो प्रपोजल दिया, उसके बारे में कुछ भी नहीं बताया जा सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 18 सितंबर के फैसले के तहत इसे कन्फिडेंशियल (गोपनीय) रखा जाना है. इसी कारण हमने क्या प्रपोजल दिया है, यह नहीं बता सकते."
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए हुआ था मध्यस्थता पैनल का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल का गठन किया था. लेकिन मध्यस्थता पैनल तय समय सीमा में किसी नतीजे पर पहुंचने में नाकाम रहा. मध्यस्थता पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफ एम आई कलीफुल्ला हैं.
जफर फारूकी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वह हमें मान्य है
राजीव धवन द्वारा नक्शा फाड़े जाने को लेकर फारूखी ने कहा, "कोर्ट के अंदर जो हुआ, उस पर कोई बयान नहीं देता है. सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वह हमें मान्य है. हम दिल से उसका सम्मान करेंगे."
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने क्या कहा
इससे पहले, अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ने संबंधी किसी तरह का नया हलफनामा दिए जाने से इनकार किया. उनका कहना है कि बोर्ड की ओर से कोई हलफनामा पेश नहीं किया गया है. कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं.
उधर, मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, "हलफनामे की बात हमें चैनलों के माध्यम से पता चली है. इसका कोई मतलब नहीं है. अब सारी फाइलें बंद हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा, उसे हम कबूल करेंगे."
राजीव धवन ने फाड़ दी थी नक्शे की कॉपी, हिन्दू पक्ष ने कार्रवाई के लिए दर्ज कराई शिकायत
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के आखिरी दिन मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने बुधवार को कथित रूप से भगवान राम के जन्म स्थल को दर्शाने वाले एक नक्शे को फाड़ दिया था. अब इस मामले की शिकायत एक हिन्दू पक्षकार ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से की है. अखिल भारत हिन्दू महासभा से संबंधित एक संगठन ने धवन की इस कार्रवाई की निन्दा करते हुये बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखा है. पत्र में धवन के इस कदम को ‘अत्यधिक अनैतिक कृत्य’’ बताया गया है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष बीसीआई से शिकायत करने वाले संगठन के वकील विकास सिंह ने सुनवाई के अंतिम दिन उस नक्शे को दिखाया था जिसपर राजीव धवन ने आपत्ति जताई थी थी. विकास सिंह द्वारा स्थलाकृति मानचित्र (पिक्टोरियल मैप) दिये जाने पर धवन ने कोर्ट कक्ष में ही उसे फाड़कर सनसनी पैदा कर दी थी.
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