लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर माहौल पहले से गर्म है और अब अयोध्या विवाद पर सुनवाई टल गई है. अब तीन जजों की बेंच 10 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी. उसी दिन आगे की सुनवाई की रूपरेखा भी तय होगी. सुनवाई टलने के बाद राम जन्म भूमि आंदोलन से जुड़े राम जन्म भूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदांती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से बहुत निराशाजनक फैसला आया है. उन्होंने कहा कि मैं ये आरोप लगा रहा हूं कि सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस के इशारे पर षड्यंत्र कर रहा है. क्योंकि कांग्रेस इस मामले को 2019 चुनाव से आगे टालना चाहती है और सुप्रीम कोर्ट इसी के अनुसार फैसला दे रहा है.


वेदांती ने कहा कि हम कह चुके हैं कि इस मुद्दे का फैसला आपसी सहमति से ही बनेगा. हमारे प्रयासों पर नतीजा नज़र आएगा जल्द ही देखिएगा इस आपसी सहमति पर राष्ट्रपति का दस्तखत भी हो जायेंगे.

वेदांती ने इससे पहले भी दावा किया था कि अयोध्या विवाद के पक्षकारों ने मंदिर विवाद को आपसी समझौते से हल करने का फार्मूला आपसी सहमति से निकाल लिया है. वेदांती ने किया है कि कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की मध्यस्थता से आपसी सहमति बन गई है. इसके तहत लखनऊ में दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद बनाई जाएगी, जबकि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनेगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि मस्जिद बाबर के नाम पर नहीं होगी.

वेदांती ने कहा था कि राम मंदिर का मुद्दा एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है. हम मंदिर निर्माण के लिए 2019 का इंतजार नहीं करेंगे.और अब हम चाहतें है कि आपसी समझौते के आधार पर हिन्दू मुस्लिम मिलकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करायें. उन्होंने कहा कि जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक भारत मे शांति नही होगी. इसलिए हमारा निवेदन है कि इस समस्या के समाधान के लिए सभी लोग आगे आयें.