नई दिल्ली: राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील मामले ‘राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद’ में सुनवाई के पहले ही दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पीठ और मुस्लिम पक्षकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वरिष्ठ अधिवक्ता के बीच नोंक-झोंक देखने को मिली. निर्मोही अखाड़े की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन की दलीलें सुनने के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ उस वक्त खीझ गई, जब वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने बहस में हस्तक्षेप किया.
दरअसल, पीठ ने कुछ रिकार्डों का हवाला दे रहे जैन से उसे आगे नहीं पढ़ने को कहा क्योंकि वे उनके मामले से संबद्ध नहीं थे, या उसका समर्थन नहीं करते थे. इस पर धवन ने कहा कि ये महत्वपूर्ण हैं और वह जब उनकी बारी आएगी तब वह इसे न्यायालय के समक्ष रखेंगे.
उनके हस्तक्षेप पर खीझते हुए सीजेआई ने धवन से कहा, ‘‘आप अपनी बारी आने पर जो कुछ भी चाहें, दलील दें. आपको दलील देने के लिए समान अवसर मिलेगा.’’ धवन ने फिर कहा कि वह महज पीठ की जिज्ञासा का जवाब दे रहे हैं.
सीजेआई ने कहा, ‘‘डॉ धवन, कृपया यह ध्यान रखें कि आप अदालत के अधिकारी हैं और हम यही कह रहे हैं कि किसी की दलील में कटौती नहीं की जाएगी. जवाब देने के तरीके हैं.’’
धवन ने कहा, ‘‘हां मैं अदालत का अधिकारी हूं.’’ इस पर, सीजेआई ने कहा, ‘‘डॉ धवन, अदालत की गरिमा को ध्यान में रखें.’’ इस पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं.
कांग्रेस ने ऐहतियाती कदम उठाए होते तो वह बाबरी मस्जिद विध्वंस को रोक सकती थी- दिग्विजय सिंह
पाकिस्तान के इस्लामाबाद में सड़कों पर लगे 'महाभारत' के नाम से पोस्टर