अयोध्या: जिन रामलला के मंदिर के लिए अयोध्या में धर्मसभा का आयोजन किया गया है उन रामलला के बारे में आप कितना जानते हैं. पिछली दो कड़ियों में हमने आपको बताया था कि राम लला की पूजा कैसे होती है और उनके कपड़े व खाना कौन लोग बनाते हैं. इस कड़ी में हम बताएंगे कि रामलला को प्रसाद में क्या चढ़ाया जाता है और कौन से फूल चढ़ाए जाते हैं.


पर्व त्यौहार पर रामलला की विशेष पूजा की जाती है. होली, दीवाली, विजयदशमी और रामनवमी में विशेष इंतज़ाम किए जाते हैं. सावन के शुक्ल पक्ष में रामलला को झूलाया जाता है. पंद्रह दिनों तक झूला झूलाने की परंपरा रही है. विजयादशमी में भी स्पेशल पूजा होती हैं. भोग भी विशेष होता है.


कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. दीपावली में भी रामलला का विशेष श्रृंगार होता रहा है. भगवान राम को भक्त फूल नहीं चढ़ा सकते हैं. न ही धूप या अगरबत्ती. प्रसाद के रूप में सिर्फ़ सफ़ेद ईंलायचीदाना चढ़ाया जाता है.


लोग दो पैकेट लेकर मंदिर में जाते हैं. एक पैकेट मंदिर में ही रह जाता है. दूसरा पैकेट भक्त को पुजारी दे देते हैं. सुरक्षा कारणों से रामलला की पूजा अर्चना में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं. भगवान के भक्त और न ही पुजारी फूल चढ़ाते हैं लेकिन भगवान हर दिन माला ज़रूर पहनते हैं.


कभी गेंदा के फूलों की तो कभी गुलाब की. जैसा मौसम रहता है उसके अनुसार फूलों की माला बनती है. सालों से एक ही माली परिवार ये काम करता रहा है. इसी परिवार के मुन्ना कहते हैं कि वे अपने खेत में ही रामलला के लिए ही फूलों की खेती करते हैं.


राम मंदिर हर दिन सिर्फ़ आठ घंटों के लिए ही खुलता है. जाड़े के मौसम में सवेरे 8 बजे से लेकर 12 बजे तक मंदिर खुलता है. शाम में 1 से 5 बजे तक रामलला के दर्शन होते हैं लेकिन ग़र्मियों के मौसम में सवेरे 7 से 11 बजे तक मंदिर खुलता है.


जैसे भगवान जगन्नाथ साल में एक बार बीमार पड़ जाते हैं. वैसा कुछ रामलला के साथ नहीं होता है. रामलला की पूजा के लिए एक मुख्य पुजारी और चार सहायक पुजारी तैनात किए गए हैं. एक सहायक पुजारी की ड्यूटी दो घंटों के लिए होती है.


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