प्रयागराज: अयोध्या के विवादित स्थल पर साल 2005 में हुए आतंकी हमले के मामले में यूपी की योगी सरकार ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देगी. इसकी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और जल्द ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल की जाएगी. यूपी सरकार की अपील में दोषी करार दिए गए चार आतंकियों की उम्र कैद की सज़ा को फांसी में तब्दील किये जाने और सबूतों के अभाव में बरी हुए मोहम्मद अजीज़ नाम के एक आरोपी के खिलाफ भी कार्रवाई किये जाने की मांग की गई है.


अपील छह हज़ार से ज़्यादा पन्नों की है और इसमें ट्रायल में चले मुक़दमे की कॉपी समेत केस से जुड़ी चौहत्तर नकल रखी गई हैं. यूपी सरकार की यह अपील सीएम योगी के दखल पर हाईकोर्ट में दाखिल की जा रही है. सीएम योगी ने अठारह जून को आए फैसले के दिन ही ट्रायल कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल करने की बात कही थी. स्पेशल कोर्ट ने अठारह जून को प्रयागराज की नैनी सेन्ट्रल जेल में फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को दोषी करार देकर उन्हें उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी, जबकि मोहम्मद अजीज़ नाम के आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.


आतंकी संगठन लश्करे तैयबा द्वारा कराए गए इस हमले में पांच आतंकवादी और एक टूरिस्ट गाइड समेत सात लोग मारे गए थे, जबकि हमले में सीआरपीएफ व पीएसी के सात जवान गंभीर रूप से ज़ख़्मी हुए थे. हमले की जांच कर रही टीम ने इस मामले में बाद में पांच आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इनमे दिल्ली के साकेत नगर में क्लीनिक चलाने वाला सहारनपुर का डा० इरफ़ान मास्टर माइंड है, जबकि बाकी चार लोग जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के मेंडर इलाके के रहने वाले हैं. लश्करे तैयबा ने यह हमला विवादित ढाँचे को गिराकर देश का माहौल खराब करने और बाबरी मस्जिद की घटना का बदला लेने की नीयत से कराया था. प्रयागराज के डीजीसी क्रिमिनल गुलाब चंद्र अग्रहरि के मुताबिक़ अपील दाखिल करने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं.


पांच जुलाई साल 2005 में हुए इस हमले में गिरफ्तार पाँचों आतंकियों डॉ. इरफ़ान, आसिफ इकबाल उर्फ़ फारूक, शकील अहमद, मोहम्मद अजीज व मोहम्मद नसीम पर फैज़ाबाद की अदालत ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 302, 353, 153, 153 A, 153 B, 295, 120 B के साथ ही 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट, अनलॉफुल अमेंडमेंट एक्ट की धारा 16, 18, 19, 20 व पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट की धाराओं में आरोप तय किये गए थे. गिरफ्तार आतंकियों पर यह आरोप 19 अक्टूबर 2006 को तय किए गए थे. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आठ दिसंबर 2006 को यह मुकदमा फैज़ाबाद से प्रयागराज ट्रांसफर कर दिया गया.


करीब बारह सालों तक चले इस संवेदनशील मुक़दमे की पूरी सुनवाई प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में ही हुई. मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से सत्तावन गवाह पेश किये गए. साथ ही छह अन्य लोगों के भी बयान दर्ज किये गए. इसके अलावा आतंकियों के पास से बरामद पांच एके- 47 राइफल, मोबाइल फोन, चाइनीज पिस्टल, रॉकेट लांचर, आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई मंकी कैप, बैरियर तोड़ने के लिए ब्लास्ट कराई गई मार्शल जीप, धार्मिक ग्रंथ, कारतूस व जम्मू व पानीपत से हथियार लाने वाली टाटा सूमो गाड़ी भी सबूत के तौर पर पेश की गई.


मामले की जांच करने वाली टीम के पास सबसे अहम सबूत मारे गए और गिरफ्तार आतंकियों की कॉल डिटेल्स के रिकार्ड हैं. हमले में मारे गए मानव बम समेत पांचों आतंकियों में से किसी की भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. इनके पास से मिले मोबाइल के सिमकार्ड भी पंजाब के फर्जी नाम - पते से खरीदे गए थे. जांच में यह बात सामने आई थी यह हमला देश के माहौल को बिगाड़ने और बाबरी मस्जिद के ढाँचे को नुकसान पहुंचाने की घटना का बदला लेने के लिए लश्करे तैयबा के एरिया कमांडर कारी ने कराया था.


5 जुलाई 2005 को हुआ था हमला


अयोध्या के राम जन्म भूमि परिसर में यह आतंकी हमला पांच जुलाई साल 2005 को सुबह करीब सवा नौ बजे से शुरू हुआ था. हथियारों और गोला बारूद से लैस पांच अज्ञात आतंकियों ने इंट्री प्वाइंट पर लगे बैरियर को लूटकर लाई गई मार्शल जीप में ब्लास्ट कर तोड़ दिया था. ब्लास्ट के बाद अफरा-तफरी मचने पर पांचों आतंकी फायरिंग करते हुए मुख्य कैम्पस में घुसने लगे. सुरक्षा बलों के साथ इन्होने करीब डेढ़ घंटे तक मुठभेड़ की.


मुठभेड़ में मानव बम समेत हमलावर पांचों आतंकी मारे गए, जबकि आतंकियों द्वारा की गई फायरिंग में टूरिस्ट गाइड रमेश कुमार पांडेय व शांति देवी नाम की महिला की भी मौत हुई, जबकि सीआरपीएफ, पीएसी व पुलिस के सात जवान गम्भीर रूप से ज़ख़्मी हुए. सुरक्षा बलों ने मारे गए आतंकियों के पास से कई एके- 47 राइफल, मोबाइल फोन, चाइनीज पिस्टल, कारतूस, रॉकेट लांचर व धार्मिक ग्रंथ कुरान के हिस्से बरामद किये थे. मोबाइल फोन के सहारे की गई तफ्तीश के आधार पर जांच टीम ने बाद में हमलावर आतंकियों के पांच साथियों को देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया.


हमले का मास्टरमाइंड था डाक्टर इरफ़ान


पकड़े गए पांच आतंकियों में दिल्ली की संगम विहार कालोनी में क्लीनिक चलाने वाले यूपी के सहारनपुर का डॉ. इरफ़ान मास्टर माइंड था, जबकि आसिफ इकबाल उर्फ़ फारूक, मोहम्मद नसीम, मोहम्मद अजीज व शकील अहमद जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के मेंडर इलाके के रहने वाले हैं. गिरफ्तारी के बाद से ही यह सभी आतंकी प्रयागराज की सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखे गए हैं.


जांच एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के एरिया कमांडर कारी ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना का बदला लेने के लिए कराया था. हमलावर आतंकी विवादित ढांचे को गिराकर देश का माहौल खराब करना चाहते थे. गिरफ्तार पांचों आतंकी इस हमले की साजिश रचने में शामिल थे और साथ ही इन्होने हमलावरों को हथियार व गाड़ियां मुहैया कराई थीं. एके- 47 राइफलें हरियाणा के पानीपत से पहले यूपी के अलीगढ़ लाई गई थी और बाद में इन्हे अयोध्या पहुंचाया गया था.


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