बुलंदशहर गैंगरेप पर बयानबाज़ी, आजम खान को मिली माफ़ी का एटॉर्नी जनरल ने किया विरोध
आज़म खान ने पिछले साल 30 जुलाई को बुलंदशहर में हाइवे पर मां-बेटी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को राजनीतिक साजिश करार दिया था. आज़म उस वक़्त राज्य के नगर विकास मंत्री थे. गैंगरेप की 13 साल की नाबालिग पीड़िता ने आज़म के इस बयान को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
नई दिल्ली: बुलंदशहर गैंगरेप मामले में बयानबाजी पर आज़म खान के खिलाफ मामला दोबारा खुल सकता है. आज आजम खान को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली माफी का एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने विरोध किया. मामले में एमिकस क्यूरी हरीश साल्वे ने भी कहा कि वो इस बारे में अलग से अर्जी दाखिल करेंगे.
एटॉर्नी जनरल की दलील थी, "राज्य सरकार को आज़म खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना चाहिए था. ये न्यायिक काम में दखलंदाज़ी का मामला है. इस तरह से मामले को बंद नहीं किया जा सकता. जिस शख्स को माफ़ी मिली है वो कई मामलों में ऐसे बयान देता रहा है."
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि आज़म खान ने पिछले साल 30 जुलाई को बुलंदशहर में हाइवे पर मां-बेटी के साथ हुए गैंगरेप को राजनीतिक साजिश करार दिया था. आज़म उस वक़्त राज्य के नगर विकास मंत्री थे. गैंगरेप की 13 साल की नाबालिग पीड़िता ने आज़म के इस बयान को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. पीड़िता की मांग थी कि आजम खान के खिलाफ महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए एफआईआर दर्ज हो.
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज़म को पीड़िता से माफ़ी मांगने को कहा था. 15 दिसंबर को कोर्ट ने आज़म का माफीनामा कबूल करते हुए मामला बंद कर दिया था.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ किया था कि आज़म के माफीनामे के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी जाएगी. लेकिन मंत्रियों की बेतुकी बयानबाज़ी पर वह सुनवाई करता रहेगा. इस बारे में विस्तार से सुनवाई कर भविष्य में ऐसे बयानों पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाए जाएंगे.
कोर्ट ने इस पर सलाह के लिए वरिष्ठ वकीलों फली नरीमन और हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था. दोनों वरिष्ठ वकीलों ने इस सिलसिले में कई सुजाव कोर्ट को सौंपे हैं. कोर्ट ने इन सुझावों पर भी केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा. पूरे मामले पर अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी.