इलाहाबाद: बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. पतंजलि द्वारा टायलेट्री उत्पादों पर ॐ अंकित लोगो लगाने से रोके जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.


ॐ लगाने से किस कानून का उल्लंघन ?


कोर्ट ने कहा है कि याची यह साबित करने में विफल रहा की लोगो में ॐ लगाने से किस कानून का उल्लंघन हुआ है. यह आदेश जस्टिस वी के शुक्ल और जस्टिस एम सी त्रिपाठी की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता रवींद्र सिंह कुशवाहा की जनहित याचिका पर दिया है.


याची का कहना था कि पतंजलि आयुर्वेद कम्पनी के लोगो में ॐ के बीच बाबा रामदेव की फोटो लगी हुई है. ॐ हिंदूधर्म का मंत्र है. इसके साथ ही जैन, सिख और बौद्ध धर्म में भी इसकी मान्यता है. लिहाजा टॉयलेट उत्पादों में इसके प्रयोग से हिन्दुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंच रही है.


धार्मिक भावना को आहत करने वाले चिन्हों का पंजीकरण नहीं


याचिका में यह भी कहा गया कि ट्रेडमार्क एक्ट की धारा 9 के तहत धार्मिक भावना को आहत करने वाले चिन्हों का पंजीकरण नहीं हो सकता है. इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के तहत भी ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है.


हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऊं बने लोगो से किसी प्रकार के कानून का हनन नहीं हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि याचिका जनहित में न होकर प्रचार पाने के उद्देश्य से दाखिल की गयी है. कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए उसे खारिज कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता को दोबारा इस तरह की तथ्यहीन अर्जियां दाखिल कर कोर्ट का समय बर्बाद न करने की चेतावनी दी है.