नई दिल्ली: योग गुरू बाबा रामदेव के ग्रेटर नोएडा में बनने वाले प्रस्तावित फूड पार्क को योगी आदित्यानाथ सरकार ने रद्द करने का नोटिस दिया है. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता के चलते प्रोजेक्ट को उत्तर प्रदेश से बाहर शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है. आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर कहा, ''आज ग्रेटर नोएडा में केन्द्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली. श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया. पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया.''






इस फैसले से बाबा रामदेव और सीएम योगी आदित्यनाथ आमने सामने आ खड़े हुए हैं. पतंजलि के सूत्रों ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लिया है. पतंजलि ने आरोप लगाया कि 'पतंजलि हर्बल एंड मेगा फ़ूड पार्क' नाम के टाइटल को एनओसी देने के नाम पर एक साल से ज़्यादा वक्त से उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से टालमटोल की जा रही थी. आखिरकार परेशान होकर पतंजलि ने मेगा फ़ूड पार्क को उत्तर प्रदेश से बाहर ले जाने का फैसला लिया है.


फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोई भी फूड पार्क का प्रोजेक्ट मंत्रालय के एक बार क्लियरेन्स देने के बाद भी लगाया जा सकता है. लेकिन अगर संबंधित कंपनी को मंत्रालय से फ़ूड पार्क के लिए ग्रांट या अनुदान राशि चाहिए तो फिर उस कंपनी को जमीन का टाइटल, कंपनी का टाइटल और बैंक का लोन एनओसी या बैंक के खाते की क्लोज़र रिपोर्ट चाहिए होती है. पतंजलि मेगा फ़ूड पार्क के मामले में भी 15 जून तक की बैंक क्लोज़र रिपोर्ट और जमीन का टाइटल एनओसी जमा करने को कहा था.


इस मामले में फ़ूड प्रोसेसिंग मंत्रालय पहले ही दो बार पतंजलि मेगा फ़ूड पार्क को छह-छह महीने का एक्सटेंशन दे चुका है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बार-बार ज़मीन के टाइटल के मामले को लटकाया जाता रहा है. पतंजलि के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में केंद्र सरकार से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक से गुजारिश की गई. लेकिन अफसरशाही इस कदर हावी है कि कागज़ के छोटे से पुर्जे की वजह से उत्तर प्रदेश के किसानों और युवाओं का नुकसान हो रहा है.


आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमने बार बार विनती की लेकिन पतंजलि के नाम का टाइटल अभी तक नहीं दिया गया. पतंजलि के मेगा फ़ूड पार्क के प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि एक तरफ से बिज़नेस समिट कर सरकार निवेश को आकर्षित कर रही है, दूसरी तरफ 6000 करोड़ के प्रोजेक्ट को लटका कर रखा जा रहा है.


सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के लिए पतंजलि ने फ़ूड पार्क की साइट पर काम भी शुरू कर दिया था. यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी से सटे हुए इस फ़ूड पार्क में तकरीबन 6000 करोड़ का निवेश था. अभी तक पतंजलि ने यहां साइट ऑफिस और फ़ूड पार्क की बाउंड्री तैयार कर ली है.


तकरीबन 1000 लोगों को रोजगार इस फूड पार्क के ज़रिए मिलना था और आस पास के हज़ारों किसानों को पतंजलि मेगा फ़ूड पार्क से लाभ होता. उत्तर प्रदेश शासन को पतंजलि हर्बल एंड फ़ूड पार्क के नाम से टाइटल देना था और इस नाम की एनओसी जारी करनी थी. लेकिन दो महीने से इस प्रक्रिया को लटका कर रखा गया. प्रदेश सरकार की हीलाहवाली के चलते ही पतंजलि ने इस फ़ूड पार्क को कहीं और शिफ्ट करने का फैसला लिया है.