उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे से पहले रामजन्मभूमि विवाद में पक्षकार इकबाल अंसारी ने जताया खतरा
24 और 25 नवंबर को उद्दव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना अयोध्या में सभा का आवाहन किया है. शिवसेना राममंदिर के बहाने मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है. कल सामना में छपे लेख में शिवसेना ने एक फिर केंद्र सराकर पर हमला बोला था.
नई दिल्ली: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे से पहले विवाद शुरू हो गया है. रामजन्मभूमि विवाद में पक्षकार इकबाल अंसारी ने हिंसा और आगजनी का खतरा जताया है. इकबाल अंसारी का कहना है कि डर सता रहा है कि भीड़ से आगजनी और तोड़फोड़ ना हो जाए और इसीलिए उन्होंने 24 तारीख को अयोध्या से पलायन करने की बात कही है.
इकबाल अंसारी ने कहा, ''हम तो खुद घबराए हुए हैं कि अयोध्या में भीड़ बढ़ेगी तो क्या होगा, हम करेंगे क्या यहां अकेले ? यह वही लोग हैं जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी थी, कोई भी मुसलमान मस्जिद को बचाने वहां नहीं गया लेकिन फिर भी मुसलमानों घर में लूटपाट तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया. अब एक बार फिर अयोध्या उसी घटना की तर्ज पर आगे बढ़ती दिख रही है, जिससे अयोध्या में रहने वाले चंद मुसलमान परिवारों को और मुझ को खतरा महसूस हो रहा है. अगर हमारी सुरक्षा व्यवस्था नहीं बढ़ाई गई तो हम घर पलायन करने को मजबूर होंगे.''
अंसारी ने कहा, ''डर हमें इस बात का है कि अगर अयोध्य़ा में भीड़ बढ़ती है तो हम लोगों का नुकसान होने से कोई नहीं रोक सकता. भीड़ नियंत्रण से बाहर रहती है और नेताओं का नियंत्रण नहीं रहता अगर कोई नुकसान होगा तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?''
लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर शिवसेना बता दें कि 24 और 25 नवंबर को उद्दव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना अयोध्या में सभा का आवाहन किया है. शिवसेना राममंदिर के बहाने मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है. कल सामना में छपे लेख में शिवसेना ने एक फिर केंद्र सराकर पर हमला बोला था. सामना में लिखा कि ठाकरे परिवार का कोई सदस्य अयोध्या में रामलला के दर्शन करने आ रहा है, यह खबर आम होते ही पूरे उत्तर हिंदुस्थान में उत्साह की लहर है.
सामना में यह भी लिखा कि शिवसेना की घोषणा के बाद से ही उत्साह का माहौल है, भगवान राम का सदियों का ‘वनवास’ खत्म होने की आस है. सरकार पिछले ४ वर्षों से राम मंदिर के मुद्दे को भुलाए बैठी है. देशवासियों ने बड़ी उम्मीद से इन्हें इसलिए बहुमत देकर सत्ता में बैठाया था ताकि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम का विशाल मंदिर साकार रूप ले सके. परंतु दुर्भाग्य से राम मंदिर भी जुमला बना रहा और सरकार ने इस पर चुप्पी साधे रखी. उनकी चुप्पी देखकर ही शिवसेना ने राम मंदिर पर आक्रामक भूमिका अपनाई.