लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन को 'ऊंची दुकान-फीका पकवान' करार दिया है.



प्रधानमंत्री के भाषण से देश बहुत मायूस और निराश


मायावती ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा, "प्रधानमंत्री के 'उपदेशात्मक' भाषण से देश बहुत मायूस और निराश हुआ. भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे देश को नए वर्ष में उम्मीद की नई किरण जगे. नोटबंदी के बाद साल 2017 देश के लिए नई उम्मीद लेकर नहीं आया है और जिसकी जिम्मेदार केंद्र की बीजेपी सरकार है."


क्या ऐसी बातों के लिए राष्ट्र के नाम संबोधन जरूरी था?


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "50 दिनों के लंबे इंतजार के बाद भी हालत जस की तस बनी हुई है. उन्होंने केवल 50 दिन मांगे थे, लोगों ने बड़े धैर्य से वो 50 दिन दिए, लेकिन कोई सुधार नहीं आया है. नरेंद्र मोदी ने केवल लोगों का ध्यान बंटाने के लिए कुछ ब्याज रियायतों की घोषणा कर दी. बाकी पुरानी बातें ही दोहरा दी, क्या ऐसी बातों के लिए राष्ट्र के नाम संबोधन जरूरी था?"


कथनी और करनी में न रहे जमीन-आसमान का अंतर


मायावती ने कहा, "मोदी बीजेपी और आरएसएस को तो डिजिटल लेनदेन के लिए बाध्य कर नहीं पा रहे हैं, लेकिन देश के सवा सौ करोड़ जनता को नगद के बजाय, डिजिटल लेनदेन की सूखी नसीहत देते रहते हैं. देश के लिए नोटबंदी की अग्निपरीक्षा व डिजिटल लेनदेन से पहले प्रधानमंत्री को अपना पक्ष मजबूत कर लेना चाहिए, जिससे उनकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर न रहे."