प्रयागराज: नोएडा में खुले में नमाज़ पर पाबंदी लगने का मामला अब प्रयागराज के कुंभ मेले तक पहुंच गया है. इस बारे में साधू संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पाबंदी लगाए जाने के फैसले का समर्थन करते हुए सरकारी ज़मीनों पर बिना परमीशन किसी भी तरह के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाए जाने की मांग की है.


अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि का कहना है कि अकेले नमाज़ ही नहीं बल्कि सरकारी जगहों पर कोई भी धार्मिक आयोजन बिना परमीशन के नहीं होना चाहिए. इससे न सिर्फ यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि कई बार क़ानून व्यवस्था भी प्रभावित होती है. महंत नरेन्द्र गिरि का कहना है कि नमाज़ पढ़ने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन नमाज़ मस्जिद या घरों में ही होनी चाहिए. सड़क पर नमाज़ होने से लोगों को दिक्कत होती है. उन्होंने कांवड़ यात्रा और नमाज़ की तुलना किये जाने को गलत बताया है.


नोएडा पुलिस की द्वारा पब्लिक प्लेस पर में नमाज अदा करने पर रोक के बाद लगातार नेता और पार्टियों के बयान आ रहे हैं. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जो कानून आड़े आता है उसे धर्म से जोड़ दिया जाता है. कानून का पालन करना सभी का कर्तव्य है चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान. जरूरी नहीं है कि पार्क में ही नमाज पढ़ी जाये, नमाज पढ़नी है तो घर में पढ़ें या मस्जिद में पढ़ें.


बता दें कि नोएडा पुलिस ने खुले में नमाज पर पुलिस ने रोक लगा दी है. नोएडा के एसएसपी ने यहां की बड़ी-बड़ी कंपनियों को चिट्टी भेजकर कहा है कि अगर उनके मुस्लिम कर्मचारी शुक्रवार को पार्क जैसी सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ते हैं तो इसके लिए कंपनी को दोषी माना जाएगा. नोएडा पुलिस की दलील है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस तरीके की पब्लिक मीटिंग से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है. नोएडा पुलिस ने कंपनियों से कहा है कि वो अपने कर्मचारियों को मस्जिद, ईदगाह या दफ्तर के परिसर के अंदर ही नमाज पढ़ने के लिए कहें.


नोटिस के मुताबिक, अगर आदेश का उल्लंघन हुआ या कार्यालयों के कर्मचारी नियमों का उल्लंघन करते पाए गए तो इसके लिए कंपनियां दोषी मानी जाएंगी.