बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिला मुख्यालय में मानवता की तस्वीर उस समय देखने को मिली, जब अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) में संशोधन का विरोध कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के बीच जाम में एक मरीज को ले जा रही एंबुलेंस फंस गई. अपर पुलिस अधीक्षक लाल भरत कुमार पाल ने बताया कि गुरुवार की दोपहर अर्धनग्न प्रदर्शनकारियों के जाम में गंभीर रूप से बीमार एक मरीज को लिए जा रही एंबुलेंस अशोक लॉट तिराहे के पास फंस गई गई थी, लेकिन मानवता की मिसाल पेश करते हुए प्रदर्शनकारियों ने उसे न केवल रास्ता दिया, बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ की जा रही नारेबाजी भी कुछ देर के लिए बंद कर दी थी, ताकि मरीज को शोर-शराबे से दिक्कत न हो."


नगर मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार ने बताया कि करीब छह सौ अर्धनग्न प्रदर्शनकारी एससी/एसटी एक्ट बिल पास किए जाने के विरोध में उन्हें ज्ञापन सौंपा है."


उन्होंने बताया कि बांदा जिला मुख्यालय में भारत बंद का मिला-जुला असर रहा, प्रदर्शनकारी शांतपूर्वक आंदोलन कर घर लौट गए.


आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि इसके अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी. इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं.


विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे की सरकार ने कोर्ट में दलील ठीक ढ़ंग से नहीं रखी जिसकी वजह से कानून कमजोर हुआ अब फिर दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था इस दौरान जमकर हिंसा हुई थी.


अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले बीजेपी सांसदों ने भी विरोध में आवाज उठाई थी और अपनी ही सरकार से कहा था कि सरकार अध्यादेश लाकर कानून को पूर्ववत लागू करे. जिसके बाद मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पूर्ववत लागू करने के लिए संसोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया. अब इसके विरोध में सवर्ण वर्ग ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.