बरेली: एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के फैसला का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. जगह-जगह सवर्ण अब सरकार का विरोध कर रहे हैं. यूपी के बरेली में भी सवर्णों ने विरोध शुरू कर दिया है. कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह के क्षेत्र आंवला के अतरछेड़ी गांव के लोग सरकार के विरोध में उतर आये हैं. लोगों का कहना है ये सवर्णों का गांव है और सवर्णों को अब उनकी अनदेखी सहन नहीं हो पा रही है.
सवर्णों का दुश्मन है आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट
आंवला लोकसभा क्षेत्र की तहसील आंवला के गांव अतरछेड़ी के लोगों ने निर्णय लिया है कि एससी-एसटी कानून के विरोध में अब उनका गांव नोटा का विकल्प चुनेगा. गांव में जगह-जगह लोगों को जागरूक करने के लिए बैनर व पोस्टर लगाए गए हैं. अपील की गई है कि सभी अगले 2019 के लोकसभा चुनावों में किसी भी दल को वोट नहीं करेंगे. गांव के सवर्णो ने बताया कि उनको बीजेपी सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं थी, सवर्ण बाहुल्य गांव अतरछेड़ी ने हमेशा से बीजेपी को वोटिंग की है. उनके गांव का 90 प्रतिशत वोट बीजेपी को गया है, लेकिन बीजेपी ने सवर्णों के साथ धोखा किया है. गांव के लोग इससे बहुत व्यथित हैं और आगामी लोकसभा चुनावों में नोटा का प्रयोग करेंगे.
गांव के अजीत सिंह का कहना है कि सरकार ये चाहती है की सवर्ण को दबाकर उसे जेल भेज दे. उन्होंने कहा की जब से हम पैदा हुए हैं तब से आज तक आरक्षण खत्म नहीं हुआ. गांव के महेंद्र सिंह का कहना है की आरक्षण सवर्णों का दुश्मन है. उन्होंने कहा आरक्षण आर्थिक स्थिति के आधार पर मिले. महेश का कहना है जो कोर्ट ने फैसला किया था उसमे सरकार ने संसोधन करके सवर्णों को दबाया है.
जनता पार्टी की सरकार के वक्त भी इसी गांव के लोग हुए थे उग्र , किया था आत्मदाह और ट्रेन में लगाई थी आग
बता दें कि आरक्षण के विरोध में 90 के दशक में जब जनता पार्टी की सरकार ने यह एक्ट लागू किया था तो गांव के ही छात्रनेता मुदित प्रताप सिंह ने बरेली के अयूब खां चौराहे पर मिटटी का तेल स्वयं पर डाल कर आग लगा ली थी. अगले दिन निसोई रेलवे स्टेशन पर एक गाड़ी की बोगी में आरक्षण के विरोध में आंदोलनकारियों ने आग लगाई थी. उसका मुकदमा अभी कुछ दिनों पहले ही खत्म हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि आरक्षण विरोध की यह चिंगारी आगामी समय में और गांवों में फैलैगी.
इससे पहले यूपी के बलिया जिले के सोनबरसा गांव में ऐसी ही होर्डिंग लगाये जाने का मामला सामने आया था. होर्डिंग पर लिखा हुआ है ‘‘यह गांव सामान्य वर्ग का है. कृपया राजनीतिक पार्टियां वोट मांगकर शर्मिंदा ना करें, हम अपना वोट नोटा (किसी भी उम्मीदवार को नहीं) को देंगे.’’