बरेली: निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर लड़कियों के साथ होने वाली हैवानियत की वारदात के मामले में सख्त कानून बनाया था और उसके बाद अदालतों ने नए कानून का पालन करते हुए पीलीभीत में एक हत्यारे को मौत की सजा सुनाई है. दो साल तक कोर्ट में चले केस के बाद पीलीभीत के प्रथम अपर जिला जज (पॉक्सो एक्ट) संजीव शुक्ला ने हत्यारे दुष्कर्मी की मौत की सजा दी. इस ऐतिहासिक फैसले के आने के बाद मृतक बच्ची के परिजनों ने राहत की सांस ली है.

दो साल पहले हुई थी 11 साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या

21 फरवरी 2016 को पीलीभीत के माधोटांडा क्षेत्र में किसान की 11 साल की बेटी शाम के वक्त घर से बाहर खलेने गई तो फिर कभी नहीं लौटी. घर वालो ने पूरी रात बच्ची को पूरे गांव में तलाशा लेकिन बच्ची का कोई सुराग नहीं लगा. अगले दिन बच्ची की लाश एक खली प्लाट में झाड़िओ में मिली. बच्ची की लाश देखकर उसके परिवार में कोहराम मच गया, पूरे गांव में मातम छा गया. जिस किसी ने इस खबर को सुना वो गांव की और दौड़ पड़ा. मौके पर बरेली जोन के एडीजी, रेंज के आईजी और जिले के एसपी पहुंचे और शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम में बच्ची के साथ दुष्कर्म और गला दबाकर हत्या की बात सामने आई है.

गांव के ही युवक ने बनाया था बच्ची को हवस का शिकार

पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला की गांव के ही रघुवीर नाम के दरिंदे ने पैसे का लालच देकर बच्ची को बुलाया और फिर एक खली प्लाट में ले जाकर हवस का शिकार बनाया. क्योंकि बच्ची रघुवीर को पहचानती थी और बच्ची कही उसकी पोल न खोल दे इस डर से उसने बच्ची की गला दबाकर हत्या कर दी और झाड़िओ के बीच बच्ची का शव फेंककर फरार हो गया.

पुलिस ने तत्काल आरोपी की घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया. आरोपी के खिलाफ माधोटांडा थाने में पास्को एकट में मुकदमा दर्ज किया गया. जिसके बाद दो साल तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने नजीर पेश करते हुए स्पष्ट किया की दोषी को रियायत नहीं दी जा सकती. इस मामले में पीलीभीत जनपद न्यायालय के प्रथम अपर जिला जज (पॉक्सो एक्ट) संजीव शुक्ला ने आरोपी रघुवीर को फांसी की सजा सुनाई है.