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बरेली: शिवपाल ने कहा- छोटी है बजरंगबली को जाति में बांटने वाले नेताओं की सोच
शिवपाल यादव ने कहा कि हनुमान जी भगवान का रूप है और भगवान को जाति में नहीं बांटना चाहिए. बजरंगबली प्रभु श्री राम के सेवक थे और उन्होंने बहुत बड़ा काम किया था. जो नेता उन्हें जाति में बांट रहे हैं उनकी सोच बहुत छोटी है.
बरेली: भगवान हनुमान की जाति बताने को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है. इसी बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भगवान हनुमान पर बयान देने वाले नेताओं को नसीहत दी है. शिवपाल यादव ने कहा कि हनुमान जी भगवान का रूप है और भगवान को जाति में नहीं बांटना चाहिए. बजरंगबली प्रभु श्री राम के सेवक थे और उन्होंने बहुत बड़ा काम किया था. जो नेता उन्हें जाति में बांट रहे हैं उनकी सोच बहुत छोटी है.
बीजेपी को हटाने के लिए किसी से भी गठबंधन को तैयार
शिवपाल यादव ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि उनका संगठन प्रदेश के सभी जिलों में है. इसलिए सभी लोकसभा सीटों पर हमारी पार्टी चुनाव लड़ेगी. शिवपाल यादव ने कहा की हमारा मकसद बीजेपी को हटाना है और बीजेपी को हटाने के लिए हम गठबंधन के लिए तैयार हैं. इतना ही नहीं बीजेपी को हारने के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस हम किसी से भी गठबंधन कर सकते हैं.
सरयू नदी पर बने राम मंदिर हम सहयोग को तैयार
शिवपाल यादव ने कहा की बीजेपी को चुनाव के वक्त ही राम मंदिर की याद आती है. उन्होंने कहा कि विवादित जगह पर राम मंदिर नहीं बनना चाहिए. मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए कोर्ट की अवेहलना नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा की सरयू नदी के किनारे बहुत सारी जमीन पड़ी है वहां पर राम मंदिर बनाया जाये तो हम भी सहयोग करेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा की बीजेपी पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि 1992 में भी सरकार ने हलफनामा दिया था और हुआ क्या वहां पर लाखों कार सेवक पहुंचे और बाबरी मस्जिद को गिरा दिया.
बता दें कि योगगुरू बाबा रामदेव ने हनुमानजी की जातियां बताने वाले नेताओं को आड़े हाथ लिया है. उन्होने कहा है कि नेता अपने स्वार्थों के लिए महापुरूषों को जाति और मजहब में बांटने का काम कर रहे हैं. भगवान उनको सदबुद्धि दें और जो महापूरुषों को जातियों में बांट रहे है समाज उनको सबक सिखाएं.
बाबा रामदेव ने कहा कि वैदिक काल में जाति-व्यवस्था नहीं थी. एकतरफ हम जाति-मुक्त भारत की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर महापुरूषों को जाति के झमेले में डालकर पूर्वजों का अपमान और अनादर करते हैं. यह बहुत ही अशोभनीय है. ऐसा नहीं कहना चाहिए. अपने बयान में आगे उन्होने कहा कि अगर नेता ऐसा करते हैं तो उन्हें समाज सबक सिखाये. उनका इशारा चुनाव को लेकर था.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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