गोरखपुरः लोकसभा 2019 में कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है. छठे चरण के लिए मतदान हो रहे हैं. ऐसे में यूपी का बस्ती जिला भी खूब सुर्खियों में हैं. क्योंकि क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सातवां सबसे बड़ा जिला होने के साथ यहां कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है. कांग्रेस ने जहां सपा के बागी राजकिशोर को टिकट देकर समीकरण बिगाड़ दिया है. तो वहीं मंझे हुए नेता और बस्ती के कप्तानगंज से पांच बार के विधायक और खलीलाबाद सीट से सांसद रहे अनुभवी राम प्रसाद चौधरी को गठबंधन से बसपा ने प्रत्याशी बनाया है. वहीं सिटिंग एमपी भाजपा के हरीश द्विवेदी भी जीत के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं.
बस्ती लोकसभा क्षेत्र में 2011 की जनगणना के हिसाब से आबादी में 21 फीसदी एससी और 14.81 फीसद मुस्लिम हैं. निषाद और यादव वोटर यहां पूरा दखल रखते हैं. पिछले चुनाव में यहां जीत हार का अंतर महज 33,562 वोटों का था. भाजपा के हरीश द्विवेदी ने 3,57,680 वोटों के साथ जीत हासिल की थी. वहीं सपा के राजकिशोर सिंह को 3,24,118 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था. वहीं बसपा के प्रत्याशी रहे राम प्रसाद चौधरी ने 2,83,747 वोटों के साथ तीसरा स्थान हासिल कर सपा का समीकरण बिगाड़ दिया था.
यही वजह है कि जब इस बार ये सीट गठबंधन से बसपा के खाते में चली गई, तो सपा के बागी राजकिशोर सिंह को कांग्रेस ने टिकट देकर मैदान में उतार दिया. भाजपा के सिटिंग एमपी हरीश चन्द्र द्विवेदी साल 2014 में मोदी लहर में जीतकर संसद पहुंचे थे. लेकिन, मतों का अंतर बहुत अधिक नहीं रहा है. ऐसे में गठबंधन से बसपा प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी और कांग्रेस प्रत्याशी राजकिशोर सिंह से कांटे की टक्कर मिलना तय है.
लेखा-जोखा
कुल मतदाता– 18,31,666, पुरुष- 990184, महिला- 841345, थर्ड जेंडर- 137
अनुमानित जातीय समीकरण
सवर्ण- 5.98 लाख, ओबीसी- 6.20 लाख, एससी- 4.30 लाख, मुस्लिम- 1.83 लाख
यूपी के पुराने जिलों में से एक बस्ती जनपद पूर्व में संतकबीर नगर, पश्चिम में गोंडा और उत्तर में सिद्धार्थनगर से घिरा है. इसके दक्षिण में घाघरा नदी है, जो फैजाबाद और अंबेडकरनगर को बांटती है. बस्ती कपड़ा उद्योग और चीनी मिलों के लिए भी जाना जाता है.
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 24,64,464 है. लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की हरैया, बस्ती सदर, रुधौली, महदेवा (सु.) और कप्तानगंज की सीट शामिल है. 1991 के चुनाव में पहली बार भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की. उसके बाद 1996, 1998 और 1999 में भी यहां भाजपा का ही वर्चस्व रहा. 2004 से 2014 तक ये सीट बसपा के खाते में रही. 2004 में लाल मणि प्रसाद और साल 2009 में अरविंद कुमार चौधरी यहां से जीत हासिल कर संसद पहुंचे. 2014 में ये सीट फिर से भाजपा के खाते में आ गई और हरीश द्विवेदी यहां से सांसद चुने गए.
इतिहास की बात करें तो साल 1952 में यहां पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उदय शंकर दुबे ने जीत हासिल की थी. 1957 में निर्दल रामगरीब चुनाव जीते. उसके बाद 1957 में हुए उपचुनाव और 1962 में हुए चुनाव में कांग्रेस के केशव देव मालवीय ने जीत हासिल की. उसके बाद 1967 और 1971 में क्रमशः आईएनसी के ही शिवनारायण और अनंत प्रसाद धूसिया ने जीत हासिल की. 1977 में भारतीय लोकदल के शिवनारायण, 1980 में आईएनसी (इंदिरा) के कल्पनाथ सोनकर ने जीत हासिल की. 1984 में आईएनसी के राम अवध प्रसाद जीते थे. 1989 में कल्पनाथ सोनकर ने जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की.
बस्ती, उत्तर प्रदेश का शहर और बस्ती जिला का मुख्यालय है. ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. प्राचीन समय में बस्ती को 'कौशल' के नाम से जाना जाता था. अमोढ़ा, छावनी बाजार, संत रविदास वन विहार, भद्रेश्ववर नाथ, मखौडा, श्रंगीनारी, गणेशपुर, धिरौली बाबू, सरघाट मंदिर, केवाड़ी मुस्तहकम, केवाड़ी मुस्तहकम, नागर, चंदू ताल, बराहक्षेत्र, अगौना, पकरी भीखी आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है. लखनऊ से इसकी दूरी 205 किलोमीटर और दिल्ली से इसकी दूरी 785.5 किलोमीटर है. औद्योगिक विकास, बाढ़, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से ये जिला अस्तित्व में आने के बाद से ही जूझ रहा है.
बस्ती मंडल में आने वाले डुमरियागंज सीट पर भाजपा के सिटिंग एमपी जगदंबिका पाल को गठबंधन से बसपा प्रत्याशी आफताब कांटे की टक्कर दे रहे हैं. वहीं संतकबीरनगर में भी मुकाबला काफी रोचक मोड़ पर पहुंच गया है. यहां पर भाजपा ने जूता कांड से सुर्खियों में आए सिटिंग एमपी शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर सपा से बागी हुए गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं गठबंधन के बसपा प्रत्याशी पूर्व सांसद भीष्मशंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी दमदारी के साथ मैदान में डटे हुए हैं. वहीं पूर्व सांसद और सपा से बागी हुए भालचंद यादव ने कांग्रेस से टिकट पाकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. यानी इस सीट पर गोरखपुर के सिटिंग एमपी और दो पूर्व सांसद चुनाव में ताल ठोक रहे हैं.