लखनऊ: देश भर में चर्चित रहे कानपुर देहात के बेहमई कांड का फैसला अब 18 जनवरी को सुनाया जाएगा. लगभग 39 साल पहले हुए इस जघन्य हत्याकांड में 20 लोगों को डकैतों ने गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया था. पहले सोमवार को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन बचाव पक्ष ने दलीलें पेश करने के लिए कोर्ट से वक्त मांगा. इसके बाद कोर्ट ने फैसले की तारीख आगे बढ़ा दी.
गौरतलब है कि 14 फरवरी 1981 को हुए बेहमई हत्याकांड में दस्यु फूलन देवी ने अपने 35 साथियों की मदद से 20 लोगों की हत्या कर दी थी. इस मामले में फूलन देवी ही मुख्य आरोपी थी. फूलन ने 1981 में मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था. 1993 में फूलन जेल से बाहर आई. इसके बाद मिर्जापुर लोकसभा सीट से दो बार सपा के टिकट पर सांसद बनी. 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की दिल्ली में उनके ही आवास पर हत्या कर दी थी. मौत के बाद फूलन का नाम केस से हटा दिया गया था. हत्याकांड के 35 आरोपियों में से सिर्फ 5 पर केस शुरू हुआ. इनके नाम श्याम बाबू, भीखा, विश्वनाथ, पोशा और राम सिंह थे. राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में मौत हो गई. पोशा जेल में है, जबकि तीन आरोपी जमानत पर हैं. केस की शुरुआत में 6 गवाह थे, जिनमें से अब सिर्फ 2 ही जीवित हैं.
फैसले के मद्देनजर कोर्ट में सोमवार सुबह से ही बेहमई के लोगों का जमावड़ा लग गया था. डीजीसी राजू पोरवाल ने बताया कि 14 फरवरी 1981 को हत्याकांड का मुकदमा दर्ज हुआ. घटना के बाद बड़े स्तर पर कार्रवाई हुई. एनकाउंटर हुए और कई डकैत ऐसे गिरफ्तार हुए, जिनका नाम बेहमई कांड की एफआईआर में नहीं था. हत्याकांड से जुड़े गवाहों को जेलों में ले जाकर पहचान करवाई गई. तमाम तरीके से शिनाख्त करवाने के बाद कई आरोप पत्र दाखिल होते रहे. उसमें लंबा समय लगा. कई ऐसे भी आरोपी रहे, जिनके बारे में जानकारी तो मिली, लेकिन वे फरार हो गए. वहीं आरोपियों के वकील गिरीश चंद्र दुबे ने कहा कि आज फैसला आने की उम्मीद नहीं थी. आज लिखित बहस होनी थी. अग्रिम तारीख 18 जनवरी तय की गई है. उसी दिन फैसला आएगा.
बेहमई कांड ने फूलन को बनाया बैंडिट क्वीन
बेहमई के लोगों के मुताबिक फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर उसी के चाचा मैयाराम ने कब्जा किया था. 11 साल की उम्र में फूलन ने चाचा से जमीन मांगी. इस पर दोनों में मारपीट भी हुई. चाचा ने फूलन पर डकैती का केस दर्ज करा दिया. फूलन को जेल हुई. वह जेल से छूटी तो डकैतों के संपर्क में आई. बताते हैं कि इससे नाराज डकैतों के दूसरे गैंग ने फूलन का गैंगरेप किया. इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई हत्याकांड को अंजाम दिया. इसी वारदात के बाद फूलन बैंडिट क्वीन कहलाने लगी. हालांकि, जिस जमीन के लिए फूलन बैंडिट क्वीन बनी.. वह उसके परिवार को आज भी नहीं मिल सकी है.
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