लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दुधवा नेशनल पार्क तक पर्यटकों के आवागमन को सुगम बनाने के लिए रेलवे बोर्ड ने यूपी सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक बहराइच-मैलानी रेलमार्ग को दार्जिलिंग और शिमला टॉय ट्रेन रूट के तौर पर विकसित करने का फैसला किया है.


रेलवे के अधिकारियों का दावा है कि इस रेलमार्ग के ईको टूरिज्म के तौर पर विकसित होने के बाद दुधवा आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा और जानवरों के अवैध शिकार पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.

दरअसल, खूबसूरत जंगलों के बीच से गुजरी बहराइच-मैलानी रेलमार्ग से जंगल का नजारा काफी विहंगम है. इसकी खूबसूरती में यहां घूमने वाले जंगली जानवर चार चांद लगा देते हैं. इसकी खूबसूरती को यूं ही बचाए रखने और इसे दार्जिलिंग और शिमला टॉय ट्रेन रूट की तरह विकसित करने के लिए वन विभाग ने रेलवे से इस रूट को ब्रॉड ग्रेज नहीं करने का अनुरोध किया था.

रेलवे बोर्ड ने इस पर मुहर लगाते हुए इसे मीटर गेज में ही ईको टूरिज्म के रूप में विकसित करने का निर्देश जारी किया है. रेलवे के सूत्रों ने बताया कि कतरनिया और दुधवा फॉरेस्ट रेंज के जंगलों के बीच से गुजरती इस रेल लाइन से जंगल का दृश्य काफी मनोरम दिखता है. जंगल में प्रमुख रूप से हाथी, चीता, तेंदुआ, भालू, चीतल और कांकड़ देखे जाते हैं. पर्यटक यात्रा के दौरान हरे-भरे जंगल के साथ इन जानवरों को देखने का भी लुत्फ उठा सकेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, "ईको टूरिज्म के क्रम में रेलवे इस रूट पर 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भी कम की स्पीड में ट्रेनें चलाएगा. ट्रेनों का संचालन प्रमुख रूप से पर्यटकों के लिए होगा. हालांकि विकसित होने के बाद इस रूट पर कितनी ट्रेनें चलेंगी अभी साफ नहीं हो सका है. इस रूट पर पड़ने वाले सभी 20 स्टेशनों को विकसित किया जाएगा. स्टेशनों को जंगल का लुक दिया जाएगा."

इस रूट के विकसित हो जाने और पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से यहां शिकारियों की घुसपैठ रुक सकेगी. इसके साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य भी सुरक्षित रहेगा. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने सिर्फ इतना बताया कि इस रूट को रेलवे ईको टूरिज्म के रूप में विकसित करेगा. इससे पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा.