बेंगलुरु: देश इस वक्त कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहा है. वहीं बेंगलुरू के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उसने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो कि कोरोनावायरस और ऐसे कई और वायरस की क्षमता को पूरी तरह से कम करने या उसे खत्म करने में सक्षम है. वैज्ञानिक का नाम राजा विजय कुमार है. डिवाइस का जल्द ही अमेरिका और मैक्सिको में उसकी क्षमता को लेकर परीक्षण किया जाएगा. वैज्ञानिक ने इस डिवाइस के जरिए सार्स-CoV-2 यानी कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने का दावा किया है. हालांकि यह डिवाइस संक्रमण का इलाज नहीं करेगा लेकिन इसका खास मकसद वायरस के काम करने के तरीको को कमजोर कर संक्रमण को रोकना है.


कर्नाटक सरकार से चल रही है बात


राजा विजय कुमार ने कहा कि इस डिवाइस को टेस्ट करने के लिए अमेरिका और मैक्सिको ने इच्छा जताई है. हालांकि भारत सरकार को भी इस डिवाइस को लेकर तमाम जानकारियां भेजी गई है. वहीं कर्नाटक सरकार से भी इस डिवाइस को लेकर बातचीत चल रही है. दरअसल 2019 में इस डिवाइस- स्कालेने हाइपरचार्ज कोरोना कैनन (SHYCOCAN) पर काम करना शुरू किया था.


आपको बता दें कि कोरोनावायरस अलग-अलग प्रकार के हैं. जिसमें कोविड-19 वायरस को आकार में सबसे बड़ा माना जाता है. इसका आकार करीब 140 नैनोमीटर है. ऐसा उन्होंने 2018-19 में अपने कैंपस में साधारण फ्लू और जुकाम के चलते लोगों के बीमार पड़ने के बाद किया था. लेकिन अब इसका प्रयोग करना वायरस से भी लड़ने में किया जा रहा हैआप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे यह डिवाइस कोरोना वायरस की क्षमता को खत्म करने में सक्षम है. दरअसल यह डिवाइस उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन पैदा करता है. जो कोरोना वायरस की क्षमता को कम करता है


दरअसल कोरोनावायरस के भीतर पॉजिटिव चेंज होते हैं जोकि नेगेटिव की ओर आकर्षित होते हैं. यही कारण है कि उन्हें Negative Seeker कहा जाता है. क्योंकि इलेक्ट्रॉन्स नेगेटिव होते हैं ऐसे में जब कोरोनावायरस या किसी भी तरह का वायरस इस नेगेटिव की ओर आकर्षित होकर इस पर चिपक जाते हैं तो कई इलेक्ट्रॉन्स एक साथ मिलकर इस वायरस की क्षमता को कम कर देते है


कोरोना वायरस की शक्ति को घटा देता है डिवाइस


ऐसा UV rays के मामलों में भी होता है. जिसमें से कई संख्या में इलेक्ट्रॉन्स निकलते हैं जो कि इस वायरस को खत्म करने में पूरी तरह से सक्षम है. लेकिन UV Rays क्योंकि मानव की बॉडी के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है ऐसे में उसका उपयोग सार्वजनिक तौर पर नहीं किया जा सकता. ऐसे मामले में इस डिवाइस का उपयोग कर कोरोना वायरस की शक्ति को घटाया जा सकता है. जिसके बाद अगर यह वायरस शरीर में प्रवेश भी कर ले तो किसी भी तरह का नुकसान नहीं कर पाते


स्वीडिश इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज कंट्रोल और यूनिवर्सिटी ऑफ लिंकोपिंग की एक स्टडी मिली थीजिसमें दिखाया संक्रमित वातावरण के एक्टिव आयनीकरण के जरिए हवा से फैलने वाले इंफ्लुएंजा A वायरस की प्रभावी तरीके से रोकथाम की जा सकती है. इसी रास्ते पर काम शुरू कर इस डिवाइस SHYCOCAN को बनाया. यह डिवाइस वातावरण में फ्री इलेक्ट्रॉन्स की बड़ी संख्या को पैदा कर पाने में सक्षम है


सार्स-CoV-2 वायरस के मामले में कोशिका से वायरस का पहला जुड़ाव, S-प्रोटीन और इसके रिसेप्टर के जरिए होता है और इसका काम करने का तरीका यह है कि यह उस कोशिका की ट्रांसमिशन क्षमता को निगेटिव कर देता हैयानी हमारी कोशिकाओं की दीवार में निगेटिव क्षमता होती हैजो वायरस और S-प्रोटीन रिसेप्टर से जुड़ जाता है. ऐसे में यह डिवाइस की कोशिश S-प्रोटीन को निगेटिव चार्ज इलेक्ट्रान्स के जरिए न्यूट्रल बनाकर रिसेप्टर से जुड़ने में अक्षम कर देती है. यह प्रभावी तरीके से वायरस के संक्रमण पैदा कर पाने के तरीके को अक्षम कर देगा.


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