नीलम मिश्रा का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है क्योंकि नीलम मिश्रा व उनका परिवार जवाहर लाल नेहरू के समय से पार्टी से जुड़ा रहा है. जवाहर लाल नेहरू की सरकार में नीलम के ससुर केंद्रीय सिंचाई राज्य मंत्री थे और नीलम के पति रत्नेश मिश्रा 10 वर्षो तक भदोही से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं.
रत्नेश मिश्र की मौत के बाद नीलम मिश्रा को भदोही जिले की कमान पार्टी ने सौंपी थी. नीलम मिश्रा के ससुर पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित श्यामधर मिश्र जवाहर लाल नेहरू और इंद्रा गांधी के बेहत ही करीबी थे. इसी वजह से उनका परिवार तब से अभी तक पार्टी में ही रहा लेकिन नीलम के इस निर्णय ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है.
प्रेस कांफ्रेंस कर नीलम मिश्रा ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया. उन्होंने बताया कि जिले के संगठन ने स्थानीय प्रत्याशी की मांग शीर्ष संगठन से की थी लेकिन प्रियंका गांधी ने भाजपा से आये आजमगढ़ के बाहुबली नेता रमाकांत यादव को टिकट दे दिया. रमाकांत यादव जब से भदोही आये उन्होंने जिले के संगठन से कोई मतलब नहीं रखा जब यह बात जनसभा के बाद उन्होंने प्रियंका गांधी से कही तो प्रियंका उन पर नाराज होकर उन्हें सबके सामने अपमानित किया जिसके बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है.
नीलम मिश्रा ने पार्टी के जिलाध्यक्ष के साथ प्राथमिक सदस्यता को छोड़ने के साथ यह भी ऐलान किया कि वह इस चुनाव में बसपा के स्थानीय प्रत्याशी रंगनाथ मिश्र का समर्थन करती है. वह किस पार्टी में जाएंगी इस पर उन्होंने कहा कि इसका निर्णय अभी नहीं लिया गया है आने वाले समय मे इसका फैसला किया जाएगा.
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