प्रयागराज: भाई-बहनों के आपसी प्यार और स्नेह के प्रतीक का त्यौहार भैया दूज संगम नगरी प्रयागराज में भी पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है. इस मौके पर बहनें टीका और अक्षत लगाकर भाइयों की आरती उतार रही हैं, उन्हें अपने हाथों से मिठाई व खीर खिलाकर उनकी लम्बी उम्र व सलामती की कामना कर रही हैं तो भाई भी उन्हें खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं और बहनों को स्नेह, आशीर्वाद व तोहफे दे रहे हैं.


परम्पराओं के मुताबिक़ भाई-बहन इस ख़ास मौके पर एक साथ मिलकर यमुना नदी में आस्था की डुबकी भी लगा रहे हैं. मान्यता है कि भैया दूज पर जो भी भाई यमुना में डुबकी लगाने के बाद अपनी बहन के घर जाता है, उसे न तो अकाल मौत का सामना करना पड़ता है और ना ही नरक की यातना भुगतनी पड़ती है. यमुना और यमराज की कथा जुडी होने से भैया दूज को यम द्वितीया के नाम से भी मनाया जाता है.


रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों के घर जाकर उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं, तो भैया दूज पर भाई खुद बहनों के घर जाकर उनके हाथों से खाना खाते हैं. यमुना और यमराज की पौराणिक कथा की तरह ही भाइयों के घर पहुँचने पर बहने इतनी खुश हो जाती हैं कि वह भाइयों का स्वागत आरती व पूजा के ज़रिये करती हैं. मिठाई खिलाकर भाइयों का मुंह मीठा कराती हैं और उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाती हैं. इस मौके पर बहने यमराज से प्रार्थना करती हैं कि उनके भाइयों को न तो अकाल मौत का सामना करना पड़े और ना ही नरक की यातना भुगतनी पड़े.


बहनों की इस कामना के बदले भाई उन्हें स्नेह, आशीर्वाद और तोहफे देते हैं. इसके अलावा भाई-बहन दोनों ही यमुना नदी में स्नान भी करते हैं. दोनों एक दूसरे के लिए मंगल गीत गाते हैं. इससे भाई-बहनों के बीच का प्यार और बढ़ता है, साथ ही दोनों को एक-दूसरे की दुआएं भी मिलती हैं. संगम नगरी प्रयागराज में यमुना नदी के साथ ही पूरे यम परिवार की मौजूदगी की वजह से यहाँ भैया दूज का विशेष महत्व है. इस मौके पर यहाँ यमुना के घाटों पर स्नान करने वालों की काफी भीड़ होती है और भव्य मेला भी लगता है.