मथुरा: जातीय दंगे भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल भेजे गए भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण को तय समय से डेढ़ महीने पहले रिहा करने के मामले में राज्य की बीजेपी सरकार का दावा है कि यह उसका नहीं बल्कि जिला प्रशासन का निर्णय है.


राज्य के उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने शनिवार को कहा, ''यह कानून का मामला है और बीजेपी कानूनी प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं करती. फिर कानून के अनुसार किसी को न्याय मिले या बेल (जमानत) इसमें बीजेपी की कोई भूमिका अदा नहीं करती.''


उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले को किसी अन्य तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि बीजेपी सरकार कभी भी पूर्वाग्रह के साथ काम नहीं करती. कानून अपने हिसाब से काम करता है.’’


उन्होंने उप्र की योगी आदित्यनाथ नीत सरकार के बारे में दावा किया कि यह पहली ऐसी पारदर्शी सरकार है जहां ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए अधिकार जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र हैं. ‘‘उन पर क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है. वे समय-समय पर निर्णय लेते हैं. सरकार का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहता. यानी, चन्द्रशेखर को रिहा करने का निर्णय भी जिला स्तर से किया गया है.’


शर्मा ने कहा, ‘ये उस प्रकार के निर्णय हैं जिसमें प्रत्यक्ष रूप से सरकार का कोई वास्ता नहीं होता. ये जिला प्रशासन के स्तर पर ही होते हैं.’’ उन्होंने कहा कि सरकार बस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि दुर्भाग्यवश जो घटनाएं, समाज को बांटने का कार्य करती हैं, वे न हों.


उन्होंने कहा, ‘‘आज गुजरात में यदि कोई आंदोलन चलता है तो महाराष्ट्र में बैठे कुछ लोग उसे समर्थन देने लगते हैं. हरियाणा में अगर एक जाति वाले दूसरी जाति वालों के खिलाफ आंदोलन चलाएंगे तो ये लोग बड़ी (ताकतवर) जाति वाले को कहेंगे कि हम तुम्हारे साथ हैं. दूसरे प्रदेश में किसी और के साथ. लेकिन जब राम मंदिर जैसा आंदोलन होगा तो फिर सभी को सांप्रदायिक घोषित कर देंगे. असल में ये बंटवारे की बात करते हैं, हम विजन (दृष्टिकोण) की बात करते हैं.’’


शर्मा ने अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न निवारण अधिनियम के दुरुपयोग के मामलों का जिक्र किए बिना कहा, ‘‘वर्तमान में जो स्थिति है उसमें अभी और इजाफा होगा क्योंकि, चुनाव से पहले कई दल ऐसे हैं जो इस प्रकार के मुद्दों की ताक में रहते हैं और लोगों को उन पर भड़काने का काम करते हैं. वे कहीं आंदोलन कराएंगे. कहीं उत्पीड़न के मुकदमे दर्ज कराएंगे. इस प्रकार वे बस मोदी को बदनाम करना चाहते हैं. लेकिन वे इसमें सफल नहीं होंगे.’’