भूपेंद्र यादव ने चिराग पासवान के घर जाकर की मुलाक़ात, बातचीत से शिकायत दूर करने की कोशिश
एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में चिराग पासवान ने अपने नेताओं से कहा था कि लोजपा हर परिस्थिति में चुनाव के लिए तैयार है. उसके बाद से ये चर्चा होने लगी थी कि चिराग पासवान चुनाव के पहले कोई बड़ा फ़ैसला ले सकते हैं.
पटनाः विधानसभा चुनाव के पहले बिहार एनडीए में गतिरोध दूर करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. इसी कोशिश के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज़ चल रहे लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान को मनाने के लिए बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने उनके घर पर उनसे मुलाक़ात की है. पिछले कई दिनों से इस मुलाक़ात के कयास लगाए जा रहे थे.
माना जा रहा है कि शनिवार देर शाम हुई इस मुलाक़ात में नीतीश कुमार को लेकर चिराग पासवान की नाराज़गी पर खुलकर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक़ चिराग पासवान ने अपनी 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' यात्रा के दौरान पूरे राज्य में नीतीश कुमार को लेकर मिले फीडबैक के बारे में जानकारी दी. भूपेंद्र यादव ने अपनी ओर से कहा कि एनडीए के भीतर ही सभी शिकायतों को मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा.
दरअसल शनिवार को पार्टी के बिहार प्रदेश पदाधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में चिराग पासवान ने अपने नेताओं से कहा था कि लोजपा हर परिस्थिति में चुनाव के लिए तैयार है भले ही स्वरूप कोई भी हो. उसके बाद से ये चर्चा होने लगी थी कि चिराग पासवान चुनाव के पहले कोई बड़ा फ़ैसला ले सकते हैं.
बात चाहे कोरोना की हो या प्रवासी मज़दूरों के बिहार लौटने की, नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर चिराग पासवान ने लगातार सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने यहां तक कह डाला था कि ये बीजेपी को तय करना है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार चुनाव लड़ना है या नहीं. उसके बाद जेडीयू ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी. बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने भी कड़ी टिप्पणी देते हुए कहा था कि युद्ध के बीच में कमांडर नहीं बदले जाते. माना जाता है कि मोदी के इस बयान को लेकर चिराग पासवान बेहद नाराज़ भी थे.
सूत्रों के मुताबिक़ भूपेंद्र यादव और चिराग पासवान की मुलाक़ात में चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर ज़्यादा बातचीत तो नहीं हुई लेकिन इस बात पर सहमति ज़रूर बनती दिखी कि विधानसभा के अलावा बिहार विधान परिषद में भी पार्टी को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. 2015 में विधानसभा चुनाव में लोजपा को 42 सीटें मिली थीं. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा को 6 सीटों के अलावा पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजने का समझौता हुआ था. पार्टी सूत्रों को उम्मीद है कि इस बार भी सीटों का बंटवारा इन्हीं आधार पर होगा.
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