देहरादून. उत्तराखंड में लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर अभी तक करीब 4 हजार मुकदमों के साथ ही 40 हज़ार लोगों की गिरफ्तारी पुलिस द्धारा की जा चुकी है. ऐसे में जहां एक और कोरोनाकाल में पुलिस का काम ज़्यादा बढ़ गया है, वहीं अब इन मुक़दमों को भी कोर्ट में पेश करना है. क्योंकि शुरुआती मुक़दमों को तीन महीने का समय हो चला है. अब पुलिस के लिए एक साथ हजारों मुकदमों पर काम करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.
कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पुलिस ने हज़ारों की संख्या में मुकदमे दर्ज किये हैं. पुलिस द्धारा अब शुरूआती दौर में जो मुक़दमे दर्ज हुए, उन पर फाइनल रिपोर्ट तैयार कर उन्हें कोर्ट में पेश करना है. ऐसे में अभी लगातार कोरोना के चलते पुलिस की भूमिका हर एक क्षेत्र में बहुत अहम है और ज़िम्मेदारियां भी ज़्यादा हैं.
कानून के जानकार बताते हैं कि कोरोना काल में पुलिस के पास वर्क लोड बढ़ा हुआ है, ऐसे में हज़ारों की संख्या में लॉकडाउन उल्लंघन के मुक़दमों की विवेचना पुलिस पर बहुत भारी पड़ेगी.
महामारी के दौरान डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई प्रदेश में की गई है. जहां पर भी महमारी के दौरान नियमों की अनदेखी हुई, वहां पर पुलिस ने सख़्ती के साथ कार्रवाई की है और यही वजह है कि प्रदेश में बहुत ज़्यादा संख्या में मुकदमें दर्ज हुए हैं. हालांकि डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि ऐसे मुकदमों में ज्यादातर लोग जेल में नहीं हैं, इन सभी मुकदमों में ज़्यादातर चालानी रिपोर्ट जानी है.
कोरोना काल में पुलिस सड़कों से लेकर कंटेनमेंट जोन और हर जगह तक अपनी अहम भूमिका निभा रही है, ऐसे में अब बड़ी संख्या में दर्ज हुए मुक़दमों पर विवेचना करना और उन्हें कोर्ट में पेश करना पुलिस के लिए चैलेंजिंग जरूर है. अब देखना ये होगा की पुलिस हजारों की संख्या में दर्ज हुए मुकदमों पर कब तक एफआर लगाकर कोर्ट में पेश कर सकेगी, क्योंकि जहां एक ओर पुलिस को मुकदमों पर काम करना है, वहीं दूसरी ओर कोरोना में अपनी अहम भूमिका भी निभानी है.
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