भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे शिवकुमार राणा स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी को मेरठ मेयर की सीट नहीं दिला सके. महानगर अध्यक्ष अध्यक्ष करुणेश नंदन गर्ग भी बीजेपी के इस अभियान में फेल रहे. मगर जातीय गणित को देखते हुए इन दोनों को बदलने में बीजेपी हाईकमान ने लंबे वक्त के साथ काफी माथापच्ची की.
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रविंद्र भड़ाना को जिलाध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने जिले में गुर्जर कार्ड खेला है, वही महानगर में वैश्यों की तादाद देखते हुए करुणेश नंदन गर्ग की जगह वैश्य समाज से ही मुकेश सिंघल को जिम्मेवारी दी है. 2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह बदलाव बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा या नहीं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष बनने के बाद क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्विनी त्यागी को यह उम्मीद थी उनके खास नरेश गुर्जर एडवोकेट को जिलाध्यक्ष की कुर्सी मिल सकेगी. पिछले दिनों जब बदलाव की चर्चा हुई तो अश्विनी त्यागी की संगठन पर मजबूत पकड़ के चलते यह माना जाने लगा कि नरेश का जिलाध्यक्ष बनना तय है. मगर रविन्द्र भड़ाना की दावेदारी मजबूत निकली.
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पार्टी हाईकमान ने ऐसे नेता पर दांव आजमाया है जो बीजेपी के विधायक रह चुके है और उन्होंने पहले भी जिलाध्यक्ष का पद संभाला है. पूर्व जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा पर संगठन को दो सिरों में बांटने के आरोप लग रहे थे. राणा राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिवप्रकाश के खास माने जाते रहे है. माना जा रहा है कि बीजेपी विधायक संगीत सोम के साथ उनकी पटरी नहीं बैठी.
महानगर के अध्यक्ष बनाए गए मुकेश सिंघल महानगर संगठन में पहले महामंत्री रह चुके हैं और पेशे से बिल्डर है. स्वयंसेवक संघ में वह पुराने कार्यकर्ता हैं और उनके भाई भी आरएसएस के प्रचारक रहे हैं पूर्व महानगर अध्यक्ष करुणेश नंदन गर्ग के बाद वह व्यापारियों में तगड़ी पकड़ रखने वाले कार्यकर्ता माने जाते हैं.