नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बिहार में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी से नाता तोड़ लिया था. करीब एक साल बीत गया लेकिन भ्रष्टाचार के जिस घोटाले के मुद्दे पर बिहार में सरकार गिरी, उस रेलवे टेंडर घोटाले के केस की फाइल की रफ्तार बेहद सुस्त है. एबीपी न्यूज़ ने इस मामले में बड़ी पड़ताल करते हुए अहम खुलासा किया है. दरअसल सीबीआई ने टेंडर घोटाले में रेलवे के एक अधिकारी बी के अग्रवाल पर केस चलाने की इजाजत के लिए रेलवे बोर्ड के प्रिंसपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजिलेंस को चिट्ठी लिखी थी. तीन महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक बी के अग्रवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति रेलवे ने नहीं दी है. इससे साफ है कि रेलवे टेंडर घोटाले में किस तरह ढिलाई बरती जा रही है. एबीपी न्यूज़ के पास इस चिट्ठी और सीबीआई की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट की कॉपी मौजूद है.
सीबीआई ने चिट्ठी में क्या लिखा?
सीबीआई ने यह चिट्ठी इस साल 14 अप्रैल को रेलवे बोर्ड के प्रिंसपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजिलेंस को लिखी थी. इसमें सीबीआई ने IRCTC के तत्कालीन ग्रुप जनरल मैनेजर और मौजूदा रेलवे बोर्ड के एडिशनल मेंबर के तौर पर काम कर रहे बी के अग्रवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति मांगी थी. तीन महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक बी के अग्रवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति रेलवे ने नहीं दी है.
केस चलाने की अनुमति ना देने से क्या हुआ?
अनुमति नहीं देने से एक अधिकारी की वजह से ना तो अदालत मामले में संज्ञान ले रही है और ना ही एक आरोपी की वजह से लालू यादव, राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट होने के बावजूद केस चल रहा है. रेलवे ने अनुमति दे दी होती तो आरोपियों को कोर्ट आना पड़ता और आरोप तय होते. सीबीआई को अगर रेलवे से अनुमति मिल गयी होती तो आरोपियों की गिरफ्तारी तक हो सकती थी. जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ है वो गैर जमानती धाराएं हैं, ज़ाहिर है इससे लालू, राबड़ी और तेजस्वी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाती.
रेलवे अधिकारी बीके अग्रवाल पर क्या आरोप हैं?
एबीपी न्यूज़ के पास सीबीआई की चार्जशीट की कॉपी भी मौजूद है, इसमें सीबीआई ने बताया है कि किस तरह IRCTC के अधिकारी बी के अग्रवाल ने नियमों को बदला और कोताही बरती. सीबीआई के मुताबिक घोटाले में तब के IRCTC के अधिकारी बी के अग्रवाल की बड़ी भूमिका रही. सीबीआई इन्हीं के खिलाफ केस चलाना चाहती है लेकिन रेलवे ने अभी तक इसकी मंज़ूरी नहीं दी, जिससे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी हो रही है.
बी के अग्रवाल उस वक्त IRCTC के जीजीएम टूरिज्म थे और इस वक्त वे रेलवे बोर्ड के एडिशनल मेंबर हैं. बी के अग्रवाल पर नियमों को बदलने का आरोप है जिससे सुजाता होटल्स को टेंडर मिलना सुनिश्चित हुआ. टेंडर में बदलाव क्यों किए गए इसके लिए कोई तर्क संगत वजह नहीं बतायी गई. टेंडर खोलने की प्रक्रिया में कोताही बरती, बिना IRCTC के किसी अधिकारी को नामित किए टेंडर खुलवाया, सिर्फ मौखिक आदेश पर अपने अधीनस्थ अधिकारी से टेंडर खुलवाया.
लालू यादव और उनके परिवार पर क्या आरोप हैं?
लालू यादव पर रेल मंत्री रहते टेंडर निकालने से लेकर सुजाता ग्रुप को रेलवे का होटल दिलाने में गड़बड़ी का आरोप है. इसके साथ ही होटल से जुड़े विज्ञापन और टेंडर की प्रक्रिया में बदलाव कराने का आरोप है. आरोप के मुताबिक लालू ने फोन पर दूसरे टेंडर भरने वालों को धमकी दी. सुजाता होटल ने बेली रोड की कीमती जमीन लालू के करीबी प्रेम गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग को दी. प्रेम गुप्ता ने अपनी कंपनी के शेयर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को बेच दिए, इसी कंपनी के जरिए जमीन पर लालू के परिवार का कब्ज़ा हो गया.
ये पूरा केस है क्या?
इसकी शुरूआत हुई 2005 में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, झारखंड के रांची और ओडिशा के पुरी में रेलवे के दो होटलों को मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लि. को लीज पर दिया गया. आरोप है कि होटल को लीज पर देने के लिए टेंडर के नियमों में ढील दी गयी और जब होटल लीज पर मिल गया तो इसके बदले डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को पटना में 3 एकड़ जमीन मिली. ये जमीन चाणक्य होटल के डायरेक्टर विनय कोचर ने 1 करोड़ 47 लाख में बेची जबकि बाज़ार में उस वक्त इस जमीन की कीमत करीब दो करोड़ रुपए थी.
डिलाइट मार्केटिंग कंपनी आरजेडी सांसद प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के नाम पर थी, सीबीआई का कहना है कि ये कंपनी लालू परिवार की बेनामी कंपनी थी. 2014 में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी के शेयर लारा प्रोजेक्ट के नाम ट्रांसफर कर दिए गए, लारा प्रोजेक्ट कंपनी में लालू की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी डायरेक्टर हैं, जब सारे शेयर डिलाइट मार्केटिंग कंपनी से लारा प्रोजेक्ट में ट्रांसफर हो गए तब इस जमीन की कीमत करीब 32 करोड़ रूपए हो गयी. यहां पर जो बात सबसे ज्यादा हैरान करती है वो ये कि 32 करोड़ की इस ज़मीन को लालू के परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रूपए लेकर ट्रांसफर कर दिया गया.