पटना: कोरोना काल में घर से निकलने को लेकर तेजस्वी यादव बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर लगातार हमला बोल रहे हैं. इस बीच नीतीश ने मुख्यमंत्री आवास में बैठे बैठे लालू के विधान परिषद के सदस्यों को अपनी तरफ मिला लिया.


दरअसल 16 जून को बीजेपी के एमएलसी को विधान परिषद का सभापति बनाया गया था. सभापति का पद आठ दिन तक खाली रहा था. इस बीच जेडीयू की आरजेडी के विधान परिषद के सदस्यों से बातचीत होती रही, जैसे ही पांच सदस्य पूरे हुए सभापति के पद पर अवधेश नारायण सिंह को बिठा दिया गया.


अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि आरजेडी के सदस्यों का जेडीयू में शामिल होने का काम दो दिनों में पूरा हुआ. बड़ा सवाल यह है कि इसकी भनक लालू और तेजस्वी तक को भी नहीं लगी.


अवधेश नारायण ने कहा कि इन पांचों ने एक साथ मेरे पास आकर कहा था कि हम लोग आरजेडी छोड़ना चाहते हैं और अलग ग्रुप बनाकर दोबारा जेडीयू में शामिल होना चाहते हैं. दूसरी पार्टी में शामिल होने का क्या क्राइटेरिया है, इस सवाल पर सभापति ने कहा कि क्राइटेरिया यही है कि दो तिहाई सदस्य होने चाहिए और यहां दो तिहाई सदस्य थे और इसके बाद इनकी सदस्यता नहीं जाएगी. अब तो ये विधिवत जेडीयू के सदस्य बन गए हैं.


सभापति ने कहा, "जेडीयू में आने के लिए जेडीयू के विधान मंडल को लिखकर देना होता है और जब इनके द्वारा लिखित में भी आ गया तो इन सभी को जेडीयू में शामिल कर लिया गया. अब ये पांचों जेडीयू में शामिल हो गए हैं." उन्होंने कहा कि जेडीयू की तरफ से मुख्य सचेतक ने लिख कर दिया. सचेतक रीना देवी ने लिखित में दिया. उनके साइन भी वेरिफाई करवाए गए. जब सब ठीक पाया गया तो उसके बाद ही विलय को मान्यता मिली. बता दें इन पांचों के जेडीयू में जाने के बाद अब आरजेडी के तीन सदस्य ही रह गए हैं.


विपक्षी दल के नेता की योग्यता नहीं रह गई
विपक्षी दल के नेता होने के लिए 75 प्रतिशत विधायक में 10 होने चाहिए. हालांकि सभापति ने बताया कि अभी विपक्ष के नेता का पद खत्म नहीं हुआ है इस पर विचार किया जाएगा. आज चूंकि ये लोग खुद से आकर हमसे मिले और इन्होंने शामिल होने की बात कही तो सभी कुछ जांच परख कर संतुष्ट होने के बाद ही हमने किया है.


सभापित ने कहा कि यह हमारी मजबूरी है कि जब लोग शामिल होने को कहेंगे तो करना ही होगा अगर नियम की बात करें तो भी इसे करना ही होता है. आरजेडी विधान परिषद के सदस्यों ने हमें लिखित में दिया कि हम जेडीयू में शामिल होना चाहते हैं और आरजेडी छोड़ना चाहते हैं. यहां हम संतुष्ट नहीं हैं. इन लोगों ने कहा कि ये नीतीश कुमार के विकास कार्यो से प्रभावित होकर आरजेडी को छोड़ जेडीयू में आना चाहते हैं.


जेडीयू में शामिल हुए इन पांच नामों में संजय प्रसाद, राधा चरण साह, दिलीप राय, मु. कमरे आलम और रणविजय कुमार सिंह शामिल हैं.
कमरे आलम आरजेडी के बड़े नेता रहे हैं. वह आरजेडी में राष्ट्रीय प्रधान सचिव थे और विधान परिषद के सदस्य थे.


सभापति ने कहा कमरे आलम बहुत अच्छे आदमी हैं और इनकी इच्छा थी और ये इतने संख्या में आए इसलिए उन्हें जेडीयू की सदस्यता मिली अकेले आने पर यह संभव नहीं था, लेकिन ये संख्या में आये.


विधान परिषद के चुनाव पर कोई असर नहीं


अवधेश नारायण सिंह ने कहा, 'इन पांचों के जेडीयू में जाने से 9 सीटों के चुनाव पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन जनता में एक मैसेज जरूर जाएगा कि एक साथ पांच सदस्यों ने आरजेडी को क्यों छोड़ दिया. वैसे पोलिटिकल क्या प्रभाव पड़ेगा उससे हमको कुछ लेना देना नहीं है.'


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