पटना: 14 जनवरी के बाद महागठबंधन में सीट शेयरिंग का एलान संभव है. तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव जेल में हैं. भाई तेज प्रताप यादव कुछ घरेलू तो कुछ राजनीतिक वजहों से 'अड़चन' पैदा कर रहे हैं. तेजस्वी पहले सीबीआई अब कोर्ट कचहरी के चक्कर में परेशान हैं. यानि तेजस्वी के लिए बिहार की राजनीति में अपनी जगह बनाना आसान नहीं है. उनके सामने नीतीश कुमार हैं. सवाल ये है कि महागठबंधन की ड्राइविंग सीट पर बैठने की महत्वाकांक्षा के लिए क्या तेजस्वी यादव तैयार हैं?
तेजस्वी यादव के सामने खड़ी है ये बड़ी चुनौती
2019 के लिए तेजस्वी के सामने सबसे बड़ी चुनौती महागठबंधन के सभी साथी दलों के बीच सम्मानजनक सीटों का तालमेल करना है. आज की तारीख में महागठबन्धन में आधा दर्जन से ज़्यादा दल हैं. इसमें आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी, हम, शरद यादव की पार्टी, लेफ्ट पार्टियां (सीपीआई, सीपीएम, माले) और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी शामिल है. इतनी पार्टियों के साथ तालमेल बिठाना और सभी को मनमाफिक सीटें देकर समझौता करना मुश्किल काम है. हालांकि लालू ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी बना दिया है और पार्टी की कमान सौंप दी है. लेकिन महागठबंधन की अगुवाई करना और मुख्य नेता के तौर पर उभर कर सामने आना तेजस्वी के लिए 2019 लिटमस टेस्ट है. 40 सीटों के लिए सभी पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही है. आरजेडी खुद को 'बड़ा भाई' मानकर चल रही है.
इस बार उम्मीदवार को ज्यादा तरजीह मिलेगी
आरजेडी का दावा है कि उनकी पार्टी के पास विधानसभा और लोकसभा में सबसे ज्यादा सीटें हैं लिहाजा उनका ज्यादा सीटों पर हक है. इतना ही नहीं वोट बैंक के लिहाज से भी उनका जनाधार ज़्यादा मज़बूत है. बिहार में एमवाई यानी मुस्लिम यादव आरजेडी के साथ है. ऐसे में आरजेडी 40 में से 20 सीटों पर सीधे दावा ठोक रही है. आरजेडी के सूत्र बता रहे हैं कि इस बार सीटों की संख्या से ज़्यादा उम्मीदवार को तरजीह दी जाएगी. यानी किसी पार्टी के पास दमदार उम्मीदवार है लेकिन सीट किसी खास पार्टी की परंपरागत है तो उस उम्मीदवार को पार्टी अपना उम्मीदवार बना देगी. इससे सीटों की लड़ाई भी नहीं रहेगी और उम्मीदवार मज़बूत मिलेगा.
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक मोटे तौर पर बंटवारा की रूप रेखा तय हो चुकी है. इसमें आरजेडी 18 से 20, कांग्रेस 10 से 12, आरएलएसपी पांच से सात, हम एक से दो तो बाकी बची सीटों का बंटवारे लेफ्ट और अन्य दलों में किया जा सकता है.
बिहार की कमान संभालने के लिए तेजस्वी तैयार: राहुल तिवारी
आरजेडी नेता और लालू के बेहद करीबी शिवानन्द तिवारी के बेटे राहुल तिवारी ने साफ कहा कि तेजस्वी न सिर्फ महागठबंधन बल्कि बिहार की भी कमान थामने के लिए तैयार हैं. राहुल तिवारी आरजेडी विधायक हैं और तेजस्वी यादव के बेहद करीबियों में से हैं. राहुल तिवारी ने कहा, "हमलोगों का सीट बटवारा लगभग हो चुका है. आने वाले समय में इसकी घोषणा हो जाएगी. उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश साहनी और शरद यादव आ चुके हैं. बिहार में लगभग हमलोग का गठबंधन तैयार हो चुका है. आने वाले समय में कौन कहां से लड़ेगा यह तय हो जाएगा.'' उन्होंने कहा कि महागठबंधन में कोई बड़े भाई की भूमिका में नहीं है. क्षेत्रीय पार्टी में आरजेडी एक बड़ी पार्टी है. हम 40 सीटों पर जीतें उसकी तैयारी है. आरजेडी की सीटें ज्यादा रहेंगी.
अभी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई सवाल नहीं: आरएलएसपी
उधर आरएलएसपी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने कहा कि अभी महागठबंधन में जिन पार्टियों को आना था, सबलोग आ गए हैं. सीट बंटवारे में कोई दिक्कत होने का सवाल नहीं है. महागठबंधन में जो भी आया है, उसका एक ही उद्देश्य है कि बीजेपी को बिहार और देश से समाप्त करना है. बिहार में जिस तरह का समीकरण बना है, उससे बिहार में एनडीए का खाता खुलने का सवाल ही नहीं है. वहीं मुख्यमंत्री पद को लेकर उन्होंने कहा कि अभी कोई मुख्यमंत्री का सवाल नहीं है. बिहार में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं आने वाला है. जो भी आगे मुख्यमंत्री बनेगा, वह परिस्थितियों का मुख्यमंत्री बनेगा. ये अलग बात है कि हमारी पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया है. लेकिन हमलोग महागठबंधन में आए हैं तो आपस में मिलकर तय करेंगे.
विधानसभा का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेंगे: दानिश रिजवान, हम प्रवक्ता
वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम के प्रवक्ता ने कहा कि बिहारी लोग है दही-चूरा खाकर ही कोई फैसला लेते हैं. खरमास में कोई फैसला नहीं लेते. 14 जनवरी को दही चूड़ा खाएंगे और 15 जनवरी को यह बता देंगे कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा और कहां से लड़ेगा. हमारे यहां वाद-विवाद नहीं है, हम संस्कारी लोग हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को अपना नेता बताया. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा का चुनाव हम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेंगे. वहीं लोकसभा का जो चुनाव है वो हम राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ेंगे. जिस तरह से देश और राज्य का माहौल है उस तरह से युवाओं का आना जरूरी है. युवाओं को लेकर हम आगे चलने की बात कर रहे हैं.
जेडीयू का तंज- जेल से होना है सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला
उधर जेडीयू ने तंज किया है. नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में महागठबंधन का शीर्ष नेतृत्व कैदी नंबर 3351 लालू प्रसाद यादव जेल में बंद हैं. सीट शेयरिंग का अंतिम फैसला तो होटवार जेल से तय होना है. अब परिस्थिति ऐसी है कि राहुल गांधी को लज्जा महसूस हो रही है कि वो होटवार जेल कैसे जाएं. होटवार जेल के बगैर सीट शेयरिंग तो होगा नहीं इस लिए उनके सीट शेयरिंग का सबसे बड़ा संकट है कैदी नंबर 3351 आदरणीय लालू प्रसाद. महागठबंधन में यह करना होगा कि उनका चेहरा कौन होगा.
लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो जाएगा: बीजेपी
वहीं बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि महागठबंधन 'ज्यादा जोगी, मठ उजाड़' है. ये लोग जिस तरह का परसेप्शन बनाना चाहते हैं वो पूरा फेल हो जाएगा. एनडीए ने कॉम्पैक्ट गठबंधन किया है. यह दिमाग का नहीं दिल का गठबंधन है. बिहार में लोकसभा चुनाव में चालीसों सीट एनडीए जीतेगी और नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से देश का प्रधानमंत्री बनाएंगे. महागठबंधन में जितने भी दल हैं, ये सब लोग परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डुबे हुए हैं. लोकसभा चुनाव में इनका सूपड़ा साफ हो जाएगा.