पटना: बिहार में महागठंबधन की नाव पर सवार जीतन राम मांझी ने अपना पतवार खींचा तो आरजेडी ने पलटवार किया और कहा कि मांझी की जरुरत नहीं है. अब कांग्रेस ने भी महागठबंधन की नाव को छोड़ने का मन बना लिया है. यानी बिहार में 2015 में जो महागठबंधन नीतीश कुमार ने बनाया था वो अब डूबता दिखाई पड़ रहा है. बिहार में कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचन्द्र मिश्रा ने कहा कि गठबंधन एक नीतिगत फैसला है इसपर विचार किया जाएगा. लोकसभा चुनाव के लिए साथ थे.


प्रेमचंद मिश्रा ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि बिहार में कांग्रेस पार्टी अगला विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी या गठबंधन में लड़ेगी ये नीतिगत फैसले होते हैं. ऐसे फैसले हाईकमान के स्तर पर होते हैं. अभी इसपर कुछ कहना उचित नहीं होगा. उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी बिहार में अभी अपने संगठन के विस्तार और सक्रियता में लगी है. जब विधानसभा चुनाव आयेगा तो जो भी नीतिगत फैसला हाईकमान करेगी हम उसपर विस्तार से काम करेंगे. सोनिया गांधी जी के फिर से अध्यक्ष बनने पर पार्टी को दोबारा से संगठित करने और मजबूत करने का अवसर मिला है. बिहार में कांग्रेस जन एकजुट हैं और हम सब मिल जुलकर काम करेंगे. सबको कठोर परिश्रम की आवश्यकता है हमें बिहार में बीजेपी और जेडीयू को हराना है. वही हमारा लक्ष्य है.


वहीं आरजेडी अपनी पार्टी के खेवनहार तेजस्वी यादव से ही परेशान हैं. लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद से राजनीतिक तौर पर 'लापता' हैं. पार्टी और परिवार दोनों में ही महायुद्ध चल रहा है. दोनों भाइयों यानी तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव में शीतयुद्ध चल रहा है. तेजस्वी कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंसे हैं. ऐसे में महागठंबधन पर सोचने की किसी को फुर्सत नहीं है. गाहे बगाहे पार्टी के नेता लाज बचाए रहने के लिए बयान देते रहते हैं.


आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र, तेजस्वी की रहस्यमयी राजनीतिक दूरी पर सफाई देते हैं. भाई वीरेन्द्र ने कहा कि जहां तक तेजस्वी यादव की बात है तो वो पार्टी और महागठबंधन के लोगों से बात कर रहे हैं. इसके विस्तार के लिए और दूसरा यह है कि वो कोर्ट के मामले में दिल्ली में हैं. उनके और लालू यादव के बताए हुए रास्ते पर हमलोग काम कर रहे हैं. पार्टी का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है.


भाई वीरेंद्र ने कहा, ''सवाल ये है कि मेरे बयान से ना महागठबंधन बनेगा और ना बिगड़ेगा. अगर कोई शीर्ष नेतृत्व इसपर बयान देता है तो हम उसपर विचार करेंगे. आरजेडी एक विचार वाली पार्टी है और लालू प्रसाद यादव इसके आइकॉन हैं. वहीं इसके अध्यक्ष भी हैं. पार्टी तेजस्वी के नेतृत्व में ही खड़ी है और उन्हीं के निर्देश पर यहां संगठन का काम चल रहा है. तेजस्वी अपने पार्टी के लिए बिल्कुल खड़े हैं.''


उधर जेडीयू नेता संजय सिंह ने महागठबंधन के खत्म होने की भविष्यवाणी कर दी. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में न नेता और न नेतृत्व है. नेतृत्व तो लालू यादव के पास था लेकिन उनका विरासत तेजस्वी यादव को मिला तो इन्होंने नीतीश कुमार के चेहरे पर विधानसभा के मंदिर में प्रवेश करने का काम किया. वो इस विरासत को संभाल नहीं पाए. जीतन राम मांझी अलग राग अलाप रहे हैं. कांग्रेस भी अलग सुर में है. तेजस्वी यादव लगातार मानसून सत्र में दो दिन के लिए आये. बिहार में चमकी बुखार हुआ इतने बच्चे मारे गए पर ये नेता प्रतिपक्ष थे इनको ये नहीं हुआ कि पब्लिक के बीच में जाएं.


संजय सिंह ने कहा, ''महागठबंधन तार-तार और खंड-खंड हो गया और ये उनको मालूम है कि आगामी विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव राघोपुर से भी नहीं जीत पाएंगे. ये तय है और आरजेडी में अभी से भगदड़ मचा हुआ है. आरजेडी टूट जाएगा. परिवार में कलह छिड़ा हुआ है और आने वाले समय में ये दिखेगा.'' उन्होंने आगे कहा, ''मांझी जी के पास न तो नाव है और न पतवार है. ये तो एक्ससिडेंटल मुख्यमंत्री बन गए तो ये खुद को बहुत बड़े नेता कहते हैं. इनके पास कोई जनाधार है क्या...आने वाले चुनाव में सिर फुटौव्वल तय है.''