नई दिल्ली: बिहार में एनडीए का भविष्य सवालों के घेरे में हैं. सहयोगी दलों में आपसी तनातनी के बीच विपक्ष लगातार निशाना साध रहा है. इस बीच नीतीश कुमार और अमित शाह 12 जुलाई को पटना में मुलाकात करेंगे. 'समर्थन के लिए संपर्क' अभियान के तहत अमित शाह बिहार जा रहे हैं और वे वहां नीतीश कुमार के अलावा एनडीए के अन्य दलों के नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे. बीजेपी अध्यक्ष का ये दौरा बिहार की सियासत के लिए कई मायनों में अहम है और उनके सामने चुनौतियां भी हैं.


सीट बंटवारे का क्या नतीजा निकलेगा?


बिहार में जेडीयू नीतीश कुमार को 'बड़ा भाई' बता रही है. बीजेपी ने भी माना कि बिहार में नीतीश कुमार बड़े भाई हैं. लेकिन ये बात सिर्फ बिहार के नेताओं ने मानी है या कही है. दिल्ली की तरफ से इसपर कोई बात नहीं हुई है. ऐसे में जब अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात होगी तो इस मुद्दे पर क्या बात होगी, इसमें लोगों की खासी दिलचस्पी है. अमित शाह के लिए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा को मनाना भी एक चुनौती होगी, सीटों की मांग में कुशवाहा की पार्टी भी पीछे नहीं है. जेडीयू, बिहार की कुल 40 में से 25 सीटों की मांग कर रही है. अब सीटों की इस मांग पर अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच कोई बात बनेगी, यह एक बड़ा सवाल है. बता दें कि बीजेपी नेता नंदकिशोर यादव कह चुके हैं कि अभी लोकसभा चुनाव होने में साल भर बाकी है और इतनी जल्दी सीटों पर बातचीत नहीं होती है.


जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह के बयान की गूंज रहेगी?


वहीं सीटों की मांग को लेकर जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह कह चुके हैं कि अगर बीजेपी को सहयोगियों की जरूरत नहीं है तो वह बिहार में सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है. इतना ही नहीं वह ये भी कह चुके हैं कि 'जेडीयू बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने में सक्षम है क्योंकि वह राज्य के सभी जिलों में मजबूत है. संजय सिंह का दावा है कि बिना नीतीश कुमार के बीजेपी जीतने में कामयाब नहीं होगी. 2014 और 2019 में बड़ा अंतर है. देशभर में मुद्दों पर आधारित राजनीति हो रही है. अब संजय सिंह के इस बयान का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है ये फिलहाल समय के गर्भ में है. लेकिन जब अमित शाह बिहार के दौरे पर होंगे तो इस बयान की गूंज जरूर होगी.


विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर नीतीश का 'प्रेशर'


सीटों के बंटवारे के अलावा विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर बिहार में सियासत गरम है. बीते दिनों में नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को तेज कर दी है. कई बार उन्होंने सार्वजनिक तौर पर भी इसका जिक्र किया. नीतीश कुमार के इस मांग को प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर भी देखा जा रहा है. इतना ही नहीं दिल्ली में संपन्न हुई नीति आयोग की बैठक में भी उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में विशेष राज्य की मांग को दोहराया. कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार की इस मांग का समर्थन किया है और कहा है कि अगर 2019 में केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा.


नीतीश कुमार पर डोरे डाल रही है कांग्रेस


वहीं महागठबंधन में नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव के नो एंट्री वाले बयान पर कांग्रेस ने तेजस्वी को नसीहत देते हुए कहा है कि वे अपनी हद में रहें. कांग्रेस लगातार नीतीश कुमार पर डोरे डाल रही है. ऐसे में जब बिहार की राजनीति में इतना सब कुछ हो रहा है तो अमित शाह की रणनीति क्या होगी और उनके दौरे से कोई ठोस नतीजा निकलेगा या नहीं इसपर सबकी नजरे टिकी हैं. और उनका यही दौरा बिहार के एनडीए में मचे भूचाल की दशा और दिशा तय करेगा.