पटना: बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने महागठबंधन में 80 सीटों की मांग कर दी है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आलाकमान जिसे कहेगा उसे बिहार में महागठबंधन का चेहरा माना जाएगा. चेहरे को लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. आज विधानसभा परिसर में सीटों को लेकर खूब चर्चा हुई.
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रस्साकशी जारी है. विपक्ष की पार्टियां आपस में खींचतान में लगी हैं और मुख्यमंत्री के चहरे को लेकर असमंजस की स्थिति है. जहां एक ओर कांग्रेस 80 सीट के लिए दबाव बना रही है, वहीं आरजेडी खुद को गठबंधन का प्रमुख दल मानते हुए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बता रही है.
कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी का कहना है कि उनकी पार्टी ने बात रखा है कि कम से कम 80 सीटें मिलनी चाहिए. पूर्व में 41 सीट पर पार्टी लड़ी थी और 27 सीट पर जीत हासिल की थी. 15 सीटों पर कांग्रेस दूसरे पायदान पर थी. जहां से पार्टी दूसरे पायदान पर थी उसे वो छोड़ने को तैयार नहीं और 80 सीट पर चुनाव लड़ने के लिए मन बना रही है.
तिवारी का दावा है कि कांग्रेस में कोई फूट नहीं है होने वाला है और वह एकजुट है. कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि आरजेडी, उपेंद्र कुशवाहा और लोकसभा में गठबंधन के साथी जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी सब साथ मिल कर मजबूती से चुनाव लड़ेंगे.
हालांकि, प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को नेता मानने को लेकर कांग्रेस नेताओं में हिचक बरकार है. वहीं नीतीश कुमार को महागठबंधन में लाने के सवाल पर मुन्ना तिवारी ने कहा कि इसका फैसला पार्टी आलाकमान और आरजेडी को करना है.
उधर आरजेडी ने कहा कि जब तक फैसला नहीं हो जाता तब तक मांग करने का अधिकाह है लेकिन जो संभव होगा वही होगा. पार्टी विधायक रामानुज यादव ने कहा कि महागठबंधन के दल इसके बारे में बैठकर फैसला करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हम बड़े दल हैं और हम जनता की सेवा के लिए समय मांग रहे हैं. इसलिए हम तो उतनी सीट पर जरूर लड़ेंगे जिससे कि हमारा सरकार में आना संभव हो. कांग्रेस सेकेंड पार्टी ही है, फर्स्ट पार्टी नहीं है. मुख्यमंत्री का चेहरा स्पष्ट है और वो सदन में नेता प्रतिपक्ष हैं.