2019 के राजनीतिक अखाड़े में माता सीता का सहारा ले सकती है बीजेपी
एक और खास बात ये है कि सीतामढ़ी सीट से आज तक बीजेपी का कोई सांसद नहीं हुआ. सांप्रदायिक लिहाज से भी ये सीट काफी संवेदनशील है.
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर तो बीजेपी का चुनावी एजेंडा है ही लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी राजनीतिक अखाड़े में माता सीता का भी सहारा ले सकती है. बिहार की सीतामढ़ी सीट पर अभी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का कब्जा है. इस सीट पर इस बार बड़ा परिवर्तन हो सकता है. क्षेत्र के लोगों का मानना है कि राम कुमार शर्मा अगर दोबारा एनडीए का उम्मीदवार बनें तो हार सकते हैं. लिहाजा सीतामढ़ी सीट जीतने के लिए अमित शाह कोई बड़ा दांव खेल सकते हैं.
सूत्र बताते हैं कि इस सीट से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. नित्यानंद राय अभी समस्तीपुर जिले की उजियारपुर सीट से सांसद हैं. पहले वे हाजीपुर से विधायक रहे हैं. खबरों की मानें तो नित्यानंद राय ने अपने लिए इस सीट पर सर्वे भी करवाया है. नित्यानंद राय वर्तमान माहौल में उजियारपुर को सेफ नहीं मान रहे. ऐसे में एक फॉर्मूला ये निकल सकता है कि उजियारपुर सीट से राम कुमार शर्मा को उतारा जाए और सीतामढ़ी से नित्यानंद राय लड़ें.
सीतामढ़ी सीट पर यादव वोटरों का दबदबा रहा है. यहां से अब तक सबसे ज्यादा बार यादव सांसद ही जीते हैं. जेडीयू से पूर्व सांसद नवल किशोर यादव दावेदार हो सकते थे लेकिन एक मामले में सजा होने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सकते. ऐसे में जेडीयू इस सीट पर दावे के लिए ज्यादा जोर नहीं लगाने वाली है.
आरजेडी की ओर से पूर्व सांसद सीताराम यादव क्षेत्र भ्रमण कर रहे हैं और पूरी तरह सक्रिय हैं. शरद यादव की पार्टी के अर्जुन राय भी दावेदार हो सकते हैं. दबी जुबान में तो चर्चा इस बात की भी है कि अगर बीजेपी से दमदार प्रत्याशी नहीं हुआ तो लालू परिवार से भी कोई दांव लगा सकता है. यानी इस बार मुकाबला यहां यादव बनाम यादव का ही रहेगा.
नित्यानंद राय अगर मैदान में आते हैं तो एनडीए में एकता की मजबूरी हो जाएगी. दूसरा संदेश हिंदुत्व को धार देने की हो सकती है. क्योंकि नित्यानंद राय बीजेपी के हार्डलाइनर नेता माने जाते हैं और सीतामढ़ी सीट से उतारकर राम सीता यानी धार्मिक संदेश, हिंदुत्व का संदेश और कट्टरता का संदेश देने की कोशिश होगी. एक और खास बात ये है कि इस सीट से आज तक बीजेपी का कोई सांसद नहीं हुआ. सांप्रदायिक लिहाज से भी ये सीट काफी संवेदनशील है. लिहाजा तमाम समीकरण नित्यानंद राय के पक्ष में दिखता है.