पटना: जैसे-जैसे 2019 आम चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे बिहार की सियासत में हलचल तेज़ होती जा रही है. एनडीए के सहयोगी दल आरएलएसपी में फूट की कील तो काफ़ी पहले ही पड़ गई थी लेकिन उसपर आज ज़ोरदार हथौड़ा मारा गया. ये हथौड़ा आरएलएसपी के दूसरे गुट के मुखिया सांसद अरुण कुमार ने मारा है. वे आज राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) नाम से एक नए राजनीतिक दल के स्थापना कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे और एनडीए के घटक दलों समेत सरकार को भी आड़े हाथों लिया.


2014 लोकसभा चुनाव के बाद ही खटपट शुरू हो चुकी थी


2014 आम चुनाव से ठीक पहले बनी आरएलएसपी में चुनाव बाद ही खटपट शुरू हो चुकी थी. बिहार की क़रीब आठ फीसदी कुशवाहा आबादी पर अपना दावा करने वाली आरएलएसपी भले ही कुशवाहा समाज पर पूरी तरह से पकड़ न रखती हो लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे की वजह से उसे अपनी तीनों सीट पर जीत मिली थी. आरएलएसपी के मुखिया उपेन्द्र कुशवाहा को केंद्र सरकार में मंत्री पद दिया गया लेकिन इसके बाद ही आरएलएसपी में टकराव शुरू हो गया.


आरएलएसपी के टिकट पर जहानाबाद से सांसद अरुण कुमार ने पार्टी के भीतर ही एक अलग गुट बना लिया और सीधे-सीधे उपेन्द्र कुशवाहा के साथ टकराव की स्थिति में आ गए. हालांकि तीन साल से चल रहे इस टकराव के बाद अभी तक अरुण कुमार ने पार्टी का दामन नहीं छोड़ा क्योंकि इससे उनकी लोकसभा सदस्यता जा सकती है. आज राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) नाम की जिस पार्टी के स्थापना कार्यक्रम में अरुण कुमार शामिल होने पहुंचे थे, वहां अरुण कुमार को बतौर मुख्य अतिथि ही दिखाया गया था.


सूत्रों के मुताबिक़ नई पार्टी खड़ी करने में पूरी भूमिका अरुण कुमार की ही है लेकिन फ़िलहाल पार्टी की कमान किसी और के हाथों में दी गई है ताकि उनकी लोकसभा सदस्यता बनी रहे. लेकिन चुनाव से ठीक पहले अरुण कुमार आरएलएसपी का दामन छोड़कर राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) में शामिल हो जाएंगे.


अपने सिद्धांतों से भटक गई है आरएलएसपी: अरुण कुमार


उपेन्द्र कुशवाहा को बिहार के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मुहिम चलाने वाले अरुण कुमार आज उपेन्द्र कुशवाहा पर तंज कसते हुए कह रहे हैं कि अब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनना क्योंकि वो केंद्रीय मंत्री बनकर ही संतुष्ट हैं. अरुण कुमार ने आरोप लगाया कि आरएलएसपी अपने सिद्धांतों और उद्देश्यों से भटक गई है और राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) समाजवादी विचारकों के सपनों को पूरा करने वाली पार्टी बनेगी.


चुनाव से पहले बिहार एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर मची खींचतान के बीच एनडीए के घटक दल के भीतर ही फूट बिहार एनडीए के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. हालांकि फ़िलहाल एनडीए के सहयोगी इसे एनडीए के लिए ख़तरा नहीं मान रहे. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन के मुताबिक़ टूट के बाद भी दोनों ही दल एनडीए का ही हिस्सा रहेंगे ऐसे में एनडीए को इस टूट से कोई नुक़सान नहीं होगा. हालांकि साथ ही राजीव रंजन ने अरुण कुमार को नसीहत दे डाली कि वो नीतीश कुमार के काम की आलोचना करने की बजाय अपनी नई पार्टी को खड़ा करने पर ध्यान दें.


एनडीए डूबता हुआ जहाज है: आरजेडी प्रवक्ता


एनडीए में जारी इस उठापटक को विपक्ष अपने लिए मौक़े के तौर पर देख रहा है. आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव दावा कर रहे हैं कि एनडीए डूबता हुआ जहाज़ है और कोई भी दल इस जहाज़ पर सवार नहीं होना चाहते और 2019 से पहले एनडीए बिखर जाएगा. शक्ति यादव का दावा है कि जनता एनडीए से नाराज़ है और एनडीए के घटक दल इस बात को समझ चुके हैं. जो दल एनडीए से टूटेंगे वो स्वाभाविक तौर पर महागठबंधन में शामिल होंगे. आरजेडी ने अभी भी उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी है.