बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को दावा किया है कि बिहार के बाहर के राहत केंद्रों पर अप्रवासी बिहारियों को सुविधायें मिल रही हैं. नीतीश ने कहा की लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए बिहार के लोगों के लिए बिहार फाउंडेशन के माध्यम से फूड पैकेट, सेनेटाइजर, मास्क एवं अन्य राहत सामग्रियों की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं.


अब तक देश के विभिन्न राज्यों से मिल रही सूचना के मुताबिक कुल 5,015 लोगों को राहत पहुंचाई जा चुकी है, जिसमें से महाराष्ट्र के धारावी राहत केंद्र में 1,200 लोगों को, मुंबई के गोवांडी राहत केंद्र में 600, नवी मुंबई राहत केंद्र में 500, कल्याण राहत केंद्र में 500, नवीं मुम्बई राहत केंद्र में 200, बेलापुर नवी मुंबई राहत केंद्र में 140, पुणे के पिम्परी चिंचवाड राहत केंद्र में 05, पुणे के अंबे गांव राहत केंद्र में 280, पुणे के सिंहगाड राहत केंद्र में 135, हैदराबाद राहत केंद्र में 100, चेन्नई राहत केंद्र में 100, कोलकाता राहत केंद्र में 125, बेंगलुरू राहत केंद्र में 500 और आम बिहारी कल्याण मंच सिक्किम में 300 लोगों को भोजन और राशन देकर राहत पहुंचाई गई है.


इन जगहों पर प्रवासी बिहारियों के लिए आवासन एवं चिकित्सकीय सुविधा की भी व्यवस्था की गई है. इसके अलावा बेलापुर नवी मुम्बई, ठाणे, मीरा भयंदर, महाराष्ट्र में अस्थायी राहत शिविर भी बनाया गया है. मुख्यमंत्री ने बिहार फाउंडेशन को निर्देश दिया है कि ज़रूरत के मुताबिक दूसरे स्थानों पर भी आपदा राहत केन्द्र स्थापित कर लॉकडाउन में फंसे बिहार के लोगों को भोजन, आवासन एवं चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई जाए.


मास्क और पीपीई की कमी को किया गया है दुरुस्त


1200 पब्लिक प्रोटेक्शन कहे जाने वाले एन95 मास्क ऑर्डर दिया गया है. इसमें से 5 हजार पीपीई सभी जिलों में भेजा जाएगा और जो बाकी बचे को मेडिकल कॉलेज में दिया जाएगा. नालंदा मेडिकल अस्पताल को कोविड-19 के लिए एक स्पेसलाइज अस्पताल बनाया गया है. नालंदा में और भागलपुर में वहां पर भी कोविड-19 के पेशेंट हैं. वहां भी मेडिकल संबंधी उपकरणों को भेजा गया है.


मुख्यमंत्री ने कहा, ''हमने लोगों से रिक्वेस्ट किया है कि इन चीजों की पूरे देश में शॉर्ट सप्लाई है. इसलिए इसका इस्तेमाल सावधानी पूर्वक किया जाए. लेकिन बात सही है की जितनी संख्या में इन चीजों की मौजूदगी होनी चाहिए थी उतनी नहीं है. सप्लाई चैन को रिस्टोर करने के लिए विभाग की और सरकार हर संम्भव कोशिश कर रहा है. हर स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षित रहे क्योंकि सुरक्षित रहेंगे तभी दूसरों को ट्रीट कर पाएंगे.''


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