पटना: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में पर्दे के पीछे रहकर बड़ी भूमिका निभाने वाली प्रशांत किशोर आज जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में नंबर टू हैं. उनकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रशांत किशोर को जेडीयू में शामिल कराने के लिए खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार को दो बार फोन किया. इस बात का खुलासा खुद बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने किया है.


उन्होंने कल एबीपी न्यूज़ के कार्यक्रम बिहार शिखर सम्मेलन में कहा था, ''अमित शाह ने मुझे दो बार प्रशांत किशोर को जेडीयू में शामिल करने को कहा था.’’ नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘वह हमारे लिये नए नहीं हैं. उन्होंने हमारे साथ 2015 के विधानसभा चुनाव में काम किया था. थोड़े समय के लिये वह कहीं और व्यस्त थे. मुझे प्रशांत किशोर से काफी लगाव है.''


प्रशांत किशोर पिछले साल सितंबर में पार्टी में शामिल हुए थे और उन्हें अक्टूबर में उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. किशोर चुनावी साल में लगातार जेडीयू से युवाओं को जोड़ रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी के चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई और बीजेपी के खिलाफ जेडीयू को जीत मिली.


पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर 2014 में बीजेपी की सफलता के बाद चर्चा में आए थे. 'अबकी बार मोदी सरकार' जैसे नारे प्रशांत किशोर की टीम ने ही गढ़े. बाद में उन्होंने बीजेपी से खुद को अलग कर लिया.


उसके बाद प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के लिए काम करने लगे. उन्होंने 'बिहार में बहार है, फिर नीतीशे कुमार है', 'नीतीशे-नीतीशे' जैसे नारे गढ़े और 2015 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दिलाई. अपनी रणनीति के तहत पीके ने नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' वाली छवि पेश किया. बिहार में बीजेपी का रथ रोक दिया. महागठबंधन के पीछे पीके का ही दिमाग माना जाता है. नीतीश कुमार ने भी प्रशांत किशोर को इस सफलता ने गिफ्ट दिया और बिहार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया.



प्रशांत किशोर ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए काम किया. उन्होंने 'काम बोलता है' जैसे नारे दिए. लेकिन एसपी-कांग्रेस गठबंधन कुछ खास सफलता हासिल नहीं कर सकी. प्रशांत किशोर संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी भी रह चुके हैं. वह इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पीएसी) के संस्थापक हैं.


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अब 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की परीक्षा होनी है. बिहार में जेडीयू बीजेपी के साथ है. ऐसे में बीजेपी भी प्रशांत किशोर की रणनीति के सहारे जीत की आस में है. शायद यही वजह रही होगी कि अमित शाह ने प्रशांत किशोर को जेडीयू में शामिल कराने के लिए नीतीश कुमार को दो-दो बार कहा होगा.